ECLGS ने छोटे उद्यमों को वित्तीय संकट में जाने से बचाया: आर्थिक समीक्षा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) ने एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय संकट में जाने से बचाया है और उन्हें कर्ज देने में उल्लेखनीय रूप से उच्च वृद्धि ने उनके जल्द पुनरुद्धार में मदद की है। इन इकाइयों के जीएसटी कर भुगतान से यह पहलू सामने आता है। मंगलवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 से यह जानकारी मिली।
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भारत में छह करोड़ से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) हैं जिनमें विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों के लगभग 12 करोड़ लोग काम करते हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इनका योगदान करीब 35 फीसदी है। सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में ईसीएलजीएस योजना शुरू की थी जो एमएसएमई उद्योगों को वित्तीय संकट में जाने से रोकने में मददगार रही है।
समीक्षा के मुताबिक, एमएसएमई क्षेत्र को कर्ज वृद्धि जनवरी से नवंबर 2022 के दौरान उल्लेखनीय रूप से अधिक और औसतन 30.6 फीसदी से ऊपर रही है। इसे केंद्र सरकार की ईसीएलजीएस से समर्थन मिला। इसमें कहा गया, एमएसएमई क्षेत्र का पुनरुद्धार तेजी से बढ़ रहा है। यह उनके द्वारा भुगतान किए जाने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से नजर भी आता है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, सिबिल की हालिया रिपोर्ट (ईसीएलजीएस इनसाइट्स, अगस्त 2022) बताती है कि योजना ने कोविड महामारी के झटके का मुकाबला करने में एमएसएमई की मदद की और ईसीएलजीएस का लाभ उठाने वाले 83 फीसदी कर्जदार छोटे उद्यम थे। इनमें से आधी से अधिक इकाइयों ने 10 लाख रुपये से भी कम राशि का कर्ज लिया।
सिबिल के आंकड़ों से यह भी पता चला कि ईसीएलजीएस के कर्जदारों की गैर-निष्पादित आस्तियों की दर भी उन उद्यमों की तुलना में कम थी जिन्होंने योजना के लिए पात्र होने के बावजूद इस योजना का लाभ नहीं उठाया। आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, एमएसएमई इकाइयों का जीएसटी भुगतान 2020-21 में घटने के बाद से लगातार बढ़ रहा है और अब यह महामारी से पहले के स्तर को भी पार कर चुका है।
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