विकसित देशों से सालाना 100 अरब डॉलर का जलवायु वित्त नहीं मिलाः अमिताभ कांत
मुंबई। जी20 समूह में भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 100 अरब डॉलर का सालाना वित्त मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताने के कई साल बाद भी विकसित देशों ने अबतक मदद नहीं की है।
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कांत ने यहां जी20 की मॉडल बैठक के उद्घाटन समारोह में कहा कि बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान जलवायु वित्तपोषण के लिए सक्षम नहीं हैं लिहाजा उनका कायाकल्प करने की जरूरत है। नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कांत ने मुंबई से सटे कस्बे उत्तान में स्थित भारतीय लोकतांत्रिक नेतृत्व संस्थान में आयोजित इस कार्यक्रम में कहा, ‘‘अगर भारत को जलवायु परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाना है तो विकसित विश्व को हमें वह वित्त मुहैया कराना होगा जिसका उसने वादा किया था।
हमने यह दुनिया प्रदूषित नहीं की है, फिर भी हम पर जलवायु परिवर्तन का असर पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने ‘जलवायु न्याय’ के सिद्धांत पर सहमति जताई थी जिसके तहत विकासशील देशों को वित्त मुहैया कराया जाना था। लेकिन भारत जैसे देश के लिए चुनौती अपनी आर्थिक गतिविधियों को इस तरह संकेंद्रित करने की है कि धरती को नुकसान पहुंचाए बगैर खुद को औद्योगिक देश में तब्दील कर सके।
विकसित देशों ने वर्ष 2009 में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए विकासशील देशों को संयुक्त रूप से हर साल 100 अरब डॉलर का वित्त वर्ष 2020 तक मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि, इस वादे पर खरा उतरने के लगातार आह्वान के बावजूद अबतक ऐसा हुआ नहीं है। उन्होंने कहा कि जी20 समूह का भारत ऐसे समय अध्यक्ष बना है जब देश दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत को एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए एक राजनीतिक दृष्टि और सशक्त आख्यान देना होगा। कांत ने जी20 को संयुक्त राष्ट्र जैसे ‘भारी-भरकम निकाय’ से कहीं अधिक ताकतवर बताते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के पास वीटो ताकत है और उसका एक सदस्य तो इस समय जंग लड़ रहा है।
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