बरेली: 45 दिन में चार हादसे, प्लेटफार्म दो का सर्वे करेगा रेलवे

बरेली, अमृत विचार। जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। डेढ़ माह के अंदर ट्रेन से गिरकर प्लेटफार्म के नीचे जाने की चार घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें दो लोगों को जान गंवानी पड़ी। सोमवार को 12 घंटे के अंदर हुईं दो घटनाओं के बाद मुरादाबाद रेल मंडल से लेकर दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे के मुख्यालय तक में खलबली मची हुई है।
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मुरादाबाद रेल मंडल प्रशासन ने जानलेवा साबित हो रहे प्लेटफार्म नंबर दो का सर्वे कराने की बात कही है। आला अफसरों ने इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों को प्लेटफार्म नंबर दो पर हो रही घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए रिपोर्ट बनाकर देने को कहा है। अधिकारी इस बात की भी समीक्षा करेंगे की आखिर यह घटनाएं क्यों हो रही हैं।
जंक्शन का प्लेटफार्म नंबर दो इसलिए भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि रेलवे अधिकारियों के मुताबिक उत्तर रेलवे मुरादाबाद रेल मंडल के तहत आने वाले बरेली जंक्शन के चारों प्लेटफार्म हाईलेवल प्लेटफार्म हैं, लेकिन ट्रेन से गिरकर यात्री के प्लेटफार्म के नीचे चले जाने और जान गंवाने की घटनाएं प्लेटफार्म नंबर दो पर ही हो रही हैं। जंक्शन से जुड़े कई अधिकारी भी दबी जुबान में इस बात को स्वीकारते हैं कि प्लेटफार्म नंबर दो पर बाकी प्लेटफार्म के मुकाबले गैप अधिक है।
वहीं मुरादाबाद रेल मंडल के अधिकारियों ने बताया कि स्टेशनों पर प्लेटफार्म के मानक अलग-अलग हैं, जिसमें लो लेवल, मीडियम लेवल और हाई लेवल के प्लेटफार्म होते हैं। मुरादाबाद रेल मंडल के सीनियर डीसीएम सुधीर सिंह ने बताया कि बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर हुई घटनाओं का संज्ञान लिया गया है। इस संबंध में सीनियर डीईएन से भी बात की है। प्लेटफार्म को चेक कराया जाएगा। अगर कोई खामी नहीं भी निकली तो भी प्लेटफार्म नंबर दो को तकनीकी रूप से बेहतर कराया जाएगा।
कहीं रफ्तार तो नहीं बन रही हादसों की वजह
बरेली जंक्शन पर डेढ़ महीने में चार और सोमवार को 12 घंटे में दो घटनाएं होने के बाद रफ्तार को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं। इस बात में कोई शक नहीं कि चलती ट्रेन में चढ़ना व उतरना खतरे से खाली नहीं और सभी घटनाएं ट्रेन में चढ़ने व उतरने के दौरान घटीं, फिर भी आम तौर पर यात्री ऐसा ही करते हैं। सवाल यह कि प्लेटफार्म नंबर दो पर ही घटनाएं क्यों हो रही हैं। तकनीकी रूप से रफ्तार को भी एक वजह कहा जा सकता है।
दरअसल, इस लाइन पर आगे कोई कर्व नहीं है, यह सीधे मेन लाइन से जुड़ा है। ऐसे में यहां पर कोई काशन भी नहीं है और ट्रेनें 80 से 100 की रफ्तार से चलती हैं। सिग्नल मिलने के बाद प्लेटफार्म से चलते ही ट्रेन को रफ्तार भरने में दिक्कत नहीं होती। यात्री चलती ट्रेन से चढ़ने या उतरने का प्रयास करते हैं तो कई बार हादसे का शिकार हो जाते हैं।
तीन साल पहले खर्च हुए थे डेढ़ करोड़ रुपये
साल 2019 में प्लेटफार्म नंबर दो को मेन लाइन से जोड़ने का काम किया गया था। डेढ़ करोड़ की लागत से सीमेंटेड ट्रैक को बलास्टिक ( पत्थर वाला) ट्रैक में तब्दील किया गया। जिसकी लंबाई करीब 800 मीटर है। कहा जाता है कि इसी बदलाव के दौरान हाईलेवल प्लेटफार्म मीडियम लेवल का हो गया। क्योंकि वॉशेबल सीमेंटेड ट्रैक पर ही सीधे पत्थर वाला ट्रैक डाल दिया गया। तीन साल में अब तक प्लेटफार्म की ऊंचाई बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा गया। बीते दिनों जीएम निरीक्षण के दौरान प्लेटफार्म नंबर दो को लेकर सवाल खड़े किए गए तो जीएम आशुतोष गंगल ने कहा था कि अगर कोई दिक्कत है तो इसे दिखवाया जाएगा।
आकांक्षा की हालत गंभीर, पांच अन्य जगह भी जांच में मिले फ्रैक्चर
करगैना चौकी क्षेत्र के इटौआ गांव निवासी अनूप कुमार की बेटी आकांक्षा सोमवार को जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर ट्रेन पर चढ़ते समय हादसे का शिकार हो गई थीं। परिजनों ने उन्हें मिनी बाईपास स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया है। डॉक्टरों के अनुसार आकांक्षा की हालत गंभीर बनी हुई है। सोमवार को एक सर्जरी की गई, लेकिन मंगलवार को हुई जांच में शरीर में पांच अन्य स्थानों पर भी फ्रैक्चर मिले हैं। उनका इलाज चल रहा है।
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