बरेली: New Year पर परिवार के साथ इस पल को बनाएं यादगार, ये जगह आपके लिए है बेस्ट
बरेली, अमृत विचार। नए साल को अगर आप अपने परिवार के साथ खास बनाना चाहते हैं तो उसके लिए शहर में कई ऐसे स्थान है जहां पर आप परिवार के साथ नए साल को खास बना सकते है।
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अक्षर विहार पार्क बरेली
बड़े शहरों की तर्ज पर बरेली के अक्षर बिहार पार्क को नगर निगम द्वारा साल 2021 में रिनोवेशन किया गया तब से यहां स्थानीय पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है वास्तव में किसी खास शुभ अवसर पर पार्टी को शानदार बनाने के लिए परिवार जनों के साथ आप यहां जा सकते हैं। इस हरे-भरे सुव्यवस्थित गार्डन की खास बात है कि यहां पर पर्यटकों की यात्रा को रोमांचकारी बनाने के लिए झील में नौका विहार की व्यवस्था की गई इतना ही नहीं यहां शाम के समय प्रतिदिन म्यूजिकल फाउंटेन प्रदर्शित किया जाता है, म्यूजिक की धुन पर आने वाले सैलानी हर्षोल्लास के साथ झूम उठते हैं। इसके साथ ही उन्हें शहर का इतिहास भी जल तरंगों के माध्यम से दिखाया जा रहा है। एक बात और घूमते फिरते जब आपको भूख लग जाए तो उसके लिए यहां पर कैंटीन भी उपलब्ध है और फैमिली या फिर अपने चाहने वालों के साथ डिनर करने के लिए यहां हट की व्यवस्था की गई। इसलिए आप नए साल पर यहां आकर इस दिन को खास मना सकते हैं।
अलखनाथ मंदिर बरेली
लाखों करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र अलखनाथ मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है यह बरेली जिला का मुख्य धार्मिक स्थल है, इसका निर्माण आज से हजारों वर्ष पहले हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए करवाया गया था तब से लगातार देश के कोने-कोने से संत महात्मा और नागा साधु तब साधना करने के लिए आते हैं यहां दर्शन के दौरान इन्हें देखा जा सकता है।
वैसे तो इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्तगण दर्शन के लिए आते हैं लेकिन किसी विशेष हिंदू त्योहारों पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है खास करके सावन मास और महाशिवरात्रि के दिन अपार संख्या में श्रद्धालु अपनी मनवांछित इच्छा पूर्ति लेकर भोलेनाथ के दरबार में आते हैं। आप नए साल पर नए दिन की सुरुआत परिवार के साथ अलखनाथ मंदिर में आकर कर सकते है। मंदिर में सुंदर विशाल नव ग्रह वाटिका भी मन को मोहित करने वाली है।
राम नगर किला
आज भले ही यह ऐतिहासिक इमारत खंडहर में तब्दील हो चुकी हो परंतु प्राचीन समय में बड़े-बड़े योद्धा और शूरवीरो का महल हुआ करता था जिसकी गाथा संपूर्ण ब्रह्मांड में हुआ सुनाई देती थी । यह वही स्थान है जहां पांडवों की पत्नी द्रोपति का जन्म हुआ था और यहीं पर उनका स्वयंवर भी हुआ। बरेली जिला मुख्यालय से लगभग 54 किलोमीटर दूरआंवला तहसील में स्थित रामनगर का किला महाभारत काल से जुड़ा हुआ है कुछ लोग इसे छात्र फोर्ट के नाम से भी जानते हैं इतिहासकारों के माने तो यह स्थान उस दौरान पांचाल की राजधानी हुआ करता था। यहां भी परिवार के साथ जाकर नए साल की सुरुआत की जा सकती है।
त्रिवटी नाथ मंदिर
आज से लगभग 600 साल पुराना यह मंदिर बरेली शहर के प्रेम नगर इलाके में स्थित है वैसे तो बरेली में कई प्राचीन धार्मिक स्थल है, लेकिन यहां का बाबा त्रिविति धाम का इतिहास सालों सालोंपुराना है कहते हैं यहां विराजमान भगवान शिव की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। मंदिर परिसर में कई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है।
इस मंदिर में हर साल साधु संतों का प्रवचन होता है जिसे सुनने के लिए लाखों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले एक पशु चरवाहा यही पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था तभी उसके सपने में भगवान शिव जी आए और बोले मैं यही विराजमान हूं यह सुनकर वह राहगीर वहीं पर खुदाई करवाया और शिवलिंग प्रकट हुई तभी से यह हिंदू धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पावन धाम बना हुआ है। यह भी बरेली के प्रमुख स्थानों में आता है।शहर के बीच मे बना यह मंदिर अपनी अनूठी सुंदरता के लिए काफी प्रसिद्व है। बच्चों से लेकर बड़ो के लिए यह नए साल पर काफी मनमोहक साबित रहेगा।
पंचाल म्यूजियम
भारत के प्राचीन सभ्यता और इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के लिए पांचाल म्यूजियम एक आदर्श स्थान है यहां महाभारत काल से जुड़े कई रहस्यमई औजार, पाषाण कालीन वस्तुएं के साथ-साथ मानव तथा जीव जंतुओं की गुप्तकालीन और कुषाण कालीन मूर्तियां देखने के लिए मिल जाएंगे जो आज से लगभग 4000 वर्ष पुराने हैं।
जब भी आपको बरेली शहर घूमने का मौका मिले तो इस पिकनिक स्पॉट को जरुर जाइएगा। खास करके यदि आप बच्चों के साथ घूमने के लिए जाएं तो इस रहस्यमय स्थान का दर्शन जरूर करें। क्योंकि युगों पीछे के इतिहास से जुड़े कई रहस्यमई चीजें उन्हें सीखने और जानने का मौका देती है। बच्चों को यहां आकर काफी मजा आने के साथ जानकारी मिलेगी।तो अगर नए साल पर कुछ नया देखना है तो यह काफी बढ़िया विकल्प है।
बरेली का झुमका
इस शहर की पहचान सुरमा और झुमका से होती है बॉलीवुड में फिल्माया गया गाना झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में जो इसे नई पहचान देकर गया। वहीं, स्थान बरेली से 16 मीटर दूर रामपुर को जाने वाली रास्ते पर स्थित बरेली टूरिस्ट प्लेस का हिस्सा है। इसके आसपास चारों तरफ हरे भरे गार्डन और आर्टिफिशियल पेड़ों को तैयार किया गया, जो सैलानियों को काफी ज्यादा आकर्षित करता है। शायद इसीलिए युवाओं के बीच यह स्थान बहुत ही लोकप्रिय है। खास तौर पर सेल्फी शौकीन पर्यटकों के लिए यहां विशेष रूप से भ्रमण करना चाहिए। नए साल पर झुकमे के साथ परिवार की सेल्फी इस दिन को यादगार बना देगी। शहर में घूमने का यह बढ़िया स्थान है।
बरेली का क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च
नए साल पर आप परिवार के साथ शहर के क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च में जा सकते है।1856 में विलियम बटलर अमेरिका से भारत आए थे। उन्होंने अवध और बरेली को चर्च के लिए चुना। 1870 में इस चर्च की स्थापना के बाद विलियम बटलर ने मेथोडिस्ट चर्च इन सदर्न एशिया से बनाई। इस चर्च का का मुख्य गेट वेल टॉवर से बना हैं। वहीं इसका निर्माण प्रोटेस्टेंट शैली में हुआ हैं। नए साल को यादगार बनाने के लिए आप शहर के इन बताए गए स्थानों पर जाकर इस दिन को यादगार बना सकते हैं।
पुरानी जेल में लगा म्यूजिक लाइट सिस्टम
नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के अंतर्गत पुरानी जेल रोड पर म्यूजिक लाइट सिस्टम शुरू किया है। जिसमे जेल की दीवार पर बरेली के इतिहास का शानदार चित्रण किया जा रहा है। बच्चों व परिवार के साथ आकर इसका आनंद उठाकर नए साल को खाश बना सकते हैं। जंगे आजादी में बरेली का क्या-क्या योगदान रहा। आखिर हमारी बरेली क्यो खास है इसकी सारी जानकारी बहुत सुंदर तरह से प्रस्तुत की जा रही है।
गांधी उद्यान
जैसा कि गांधी उद्यान कई अलग-अलग फोकस क्षेत्र के साथ शहर का केंद्रीय हरित स्थान है, इस पार्क को कई मनोरंजक सुविधाओं के साथ एक एकीकृत परियोजना के रूप में विकसित किया गया है। पार्क को सौंदर्यशास्त्र और कार्यों को उन्नत करने के लिए सिविल कार्य, भूनिर्माण सुविधाओं, और नर्सरी के साथ-साथ म्यूजिकल फाउंटेन और एडवेंचर पार्क जैसे कैफे इसको और बेहतर बनाता है।इसमें बच्चों के लिए एक खेल पार्क भी बना है। साथ ही विभिन्न प्रकार के बगीचे, जल निकाय के साथ केंद्रीय गलियारे और परिवेश प्रकाश व्यवस्था जैसी अन्य सुविधाएं भी उद्यान को बहुत ही आकर्षित बनाती हैं।यह भी नए साल पर परिवार के साथ घूमने का बढ़िया विकल्प है। मयूजिक सिस्टम का धीमा साउंड माहौल को ख़ुशनुमा बना देता है।
धोपेश्वर नाथ मंदिर
बरेली का धोपेश्वर नाथ मंदिर, एक अलौकिक शक्ति का श्रोत है। यह कोई साधारण मंदिर नही है। इसका इतिहास 5000 साल पुराना बताया जाता है, अर्थात महाभारत काल में जब पाण्डव और कौरव तथा भगवान श्री कृष्ण इस धरती पर विराजमान थे।
महाभारत में पांडवों के एक गुरु धूम्र ऋषि ने यहाँ तपस्या की थी तथा यही अपने प्राण त्यागे थे, तत्पश्चात उस समय के लोगों ने यहाँ उनकी समाधी बना दी तथा उसी समाधी के ऊपर भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना की गयी। पहले इसका वर्णन धोमेश्वर नाथ के रूप में मिलता है। जो बाद में धोपेश्वर नाथ के रूप में विख्यात हुआ और आज इसी नाम से जाना जाता है।
इस स्थान की शक्ति का अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकते हैं की करीब 1794 में अवध के नवाब आसिफ - उद-दौला ने जब रोहिलखण्ड रियासत पर अपना अधिकार कर लिया था। तब नवाब अवध अपनी बेगम के साथ इस मंदिर में दर्शन करने आये थे तथा उनकी बेगम की मुराद यहीं पूरी हुई थी।
इसी ख़ुशी में नवाब अवध ने इस मंदिर परिसर में स्थित एक प्राचीन तालाब की कच्ची सीढ़ियों को पक्का कराया, जिसे आप आज भी देख सकते है। मंदिर परिसर में भगवान शिव के आलावा अन्य बहुत से देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। जिसका दर्शन करने हजारो श्रद्धालु प्रति वर्ष यहाँ आते हैं। कटरा में बने माता वेष्णो देवी के मन्दिर की तर्ज पर यहां माता वेष्णो देवी का मंदिर बना है। नए साल पर यह भी आकर आप बाबा का आशीर्वाद पाने के साथ मन को शान्ति की अनुभूति कर सकते है।
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