बरेली: नो-ड्यूज के लिए पार्षदों को जमा करने होंगे निगम से मिले सिम

 बरेली: नो-ड्यूज के लिए पार्षदों को जमा करने होंगे निगम से मिले सिम

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम का कार्यकाल पूरा होने पर पार्षदों को नो ड्यूज लेना भारी पड़ सकता है। उन्हें मोबाइल व सिम जमा कराना पड़ सकता है। निगम नए पार्षदों को यही सिम जारी करेगा। पार्षदों को मिले मोबाइल व सिम यदि नियम के तहत दिए गए होंगे तो यह सरकारी संपत्ति मानी जाएगी। नो-ड्यूज से पहले इसे जमा करना होगा। 2017 में नगर निगम का नया बोर्ड गठित होने पर पार्षदों को नए मोबाइल और सिम दिए गए थे। 80 पार्षदों में से नौ ने नया सिम नहीं लिया था। 

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कहा तो यह भी जा रहा है कि इन नौ लोगों ने नया मोबाइल भी नहीं लिया था। पार्षदों को मिले मोबाइल का रिचार्ज भी नगर निगम द्वारा पांच साल से कराया जाता रहा है। पार्षद भी जानते थे कि ये मोबाइल और सिम उन्हें जमा करने पड़ेंगे। इसलिए, उन्होंने निगम के मोबाइल को घर पर ही रखा था। अब चुनाव की सरगर्मियां बढ़ रही हैं। कुछ पार्षद ऐसे हैं जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में वे निगम से नो ड्यूज लेने को प्रयासरत हैं। 

नगर निगम कानून के जानकार राजेश तिवारी बताते हैं कि पार्षदों को जो भी भत्ते या सुविधाएं मुहैया होती हैं, वे नगर निगम नियमावली के तहत ही अनुमन्य हैं। पार्षदों को यदि नियमावली के तहत मोबाइल सिम मिले होंगे तो पार्षदों को इन्हें जमा करना होगा। क्योंकि यह सरकारी संपत्ति मानी जाएगी। वह बताते हैं कि यदि बगैर नियमावली के मोबाइल व सिम की सुविधा दी गई है तो नगर निगम अधिनियम की धारा 30 ए के अंतर्गत निगम इसे रिचार्ज भी नहीं करा सकता है। 

यदि ऐसा करता है कि नगर निगम अधिनियम 152 के उप्र सरचार्ज रूल्स 1966 के नियम संख्या 3 सहपठित नियम संख्या 5 के तहत उपयोगकर्ता पर कार्रवाई करने का नियम है। जानकार कहते हैं कि पार्षदों को मोबाइल व सिम किस फंड से दिये गये। किस फंड से उनका हर माह रिचार्ज किया जाता रहा। यह जांच का विषय है। बिना नियमावली बनाए सुविधाएं मुहैया कराने की अनुमति देने वाले व्यक्ति पर गबन का चार्ज बनता है। हालांकि, अफसर इस मामले में बोलने से बचते हैं। वे यही कहते हैं कि उनके आने से पहले व्यवस्था चली आ रही थी। किसने अनुमति दी, क्यों दी, किस नियम के तहत दी। इस मामले में कुछ नहीं कहना है।

टिकट कट गया तो पुराने क्षेत्र की जनता का फोन और काम कराना बंद
जनता की सेवा करने का दावा करने वाले पार्षद अब उसी जनता की शिकायत सुनने को तैयार नहीं हैं। क्षेत्र की जनता का फोन तक उठाना बंद कर दिया है। मामला छोटी विहार का है। यहां के पार्षद पति अनुपम चमन ही काम देखते हैं। अब यह वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया है तो वह और उनकी पत्नी इस वार्ड से चुनाव लड़ नहीं सकते हैं। 

आसपास के वार्ड से भी भाजपा के टिकट पर पार्षदी का चुनाव लड़ने पर संशय है। ऐसे में उन्होंने छोटी विहार की जनता से मुंह मोड़ लिया है। क्षेत्र में पाइप लाइन फटने की जानकारी उन्हें दी गई। वह समस्या तो ठीक हुई नहीं, समस्या कब तक ठीक होगी। इस संबंध में संपर्क किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।

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