गुजरात चुनाव: भाजपा के 45 नए चेहरों में से 43 रहे विजयी, यह रणनीति आई काम
अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने निवर्तमान विधायकों के स्थान पर जो 45 नये चेहरे उतारे थे, उनमें से दो को छोड़कर बाकी सभी विजयी रहे। सत्ता विरोधी लहर से पार पाने के लिए भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत 45 विधायकों के टिकट काट दिये थे। यह रणनीति काम आयी, क्योंकि ज्यादातर नये उम्मीदवार जीत गए।
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भाजपा राज्य में 27 साल से सत्ता में है। अपवाद बस बोटाड और वाघोडिया निर्वाचन क्षेत्र रहे, जहां नये भाजपा उम्मीदवारों को क्रमश: आम आदमी पार्टी (आप) के एवं निर्दलीय प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा। बोटाड में भाजपा ने निवर्तमान विधायक एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल को हटाकर घनश्याम विरानी को चुनाव में उतारा था।
पटेल 1998, 2002, 2007 और 2017 में इस सीट से विजयी रहे थे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टी डी मानिया ने यह सीट जीती थी। इस बार विरानी को आप के उमेश मकवाना ने 2,779 मतों के अंतर से हरा दिया। वडोदरा जिले के वाघोडिया निर्वाचन क्षेत्र में सत्तारूढ़ दल ने निवर्तमान विधायक मधु श्रीवास्तव के स्थान पर अश्विन पटेल को चुनाव मैदान में उतारा था। उसके बाद श्रीवास्तव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी जंग में उतर गये थे। वह छह बार विधायक रह चुके हैं।
भाजपा का टिकट पाने के इच्छुक धमेंद्र सिंह वाघेला ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और उन्होंने पटेल को करीब 14000 मतों के अंतर से पराजित किया। श्रीवास्तव 14,645 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ने 18870 मत हासिल किये। हालांकि, अन्य सीट पर भाजपा के सभी नये चेहरे चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
पार्टी ने 2022 के इस चुनाव में जिन विधायकों को टिकट नहीं दिया, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री रूपाणी, पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल , पूर्व गृहमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा, पूर्व राजस्व मंत्री कौशिकभाई पटेल, निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नीमाबेन आचार्य, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आर सी फालदू जैसे बड़े नेता हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल ने चुनाव से पहले यह कहते हुए इस निर्णय का बचाव किया था कि ठहराव से बचने के लिए चुनावी लोकतंत्र में बदलाव जरूरी है।
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