मुरादाबाद : 400 समूहों को ही मिल सका सुविधा का लाभ, विभागों के चक्कर काट रही गरीब महिलाएं
कैश क्रेडिट लिमिट के लिए 2000 स्वयं सहायता समूहों के आवेदन बैंकों में लंबित, सीडीओ के माध्यम से बैंकों को भेजा गया पत्र, जल्द स्वीकृति के दिए आदेश

मुरादाबाद, अमृत विचार। आधी आबादी को रोजगार से आच्छादित करने की केंद्र सरकार की मंशा पर बैंकों की मनमानी भारी पड़ रही है। कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) की सुस्त चाल उन गरीब महिलाओं पर भारी पड़ रही है, जो रोजगार के अवसर की तलाश में विभागों के चक्कर काट रही हैं। पिछले आठ माह में महज 400 समूहों को ही कैश क्रेडिट लिमिट का लाभ मिल पाया है। जबकि शासन स्तर से 2432 समूहों को योजना से आच्छादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत जिले में अब तक 7000 समूहों का गठन किया जा चुका है। वर्तमान में 6000 समूह सक्रिय हैं। प्रदेश सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बैंकों से सीसीएल कराने की व्यवस्था बनाई गई है। ताकि महिलाएं रोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकें। लेकिन, अधिकारी इस पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। सीसीएल स्वीकृति के लिए 2000 समूहों की फाइलें बैंकों में धूल फांक रही हैं। सीडीओ सुमित यादव ने बैंकों को पत्र जारी कर कार्य में तेजी लाने के आदेश दिए हैं।
एक लाख से 20 लाख तक मिलता है ऋण
आयुक्त स्वत: रोजगार राजनाथ प्रसाद भगत ने बताया कि सीसीएल की स्वीकृति मिलने पर समूह को एक लाख से 20 लाख तक के लोन का प्रावधान है। महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है। लोन लेकर महिलाएं खुद का रोजगार स्थापित कर सकती है। इसमें समूहों से 7.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज लिया जाता है।
3775 समूहों के गठन का लक्ष्य
शासन ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में जिले को 3775 समूहों के गठन का लक्ष्य दिया था। अब तक 2408 समूह बनाए गए है। अधिकारी का दावा है कि अवशेष 1367 समूहों के गठन की कवायद जल्द पूरी कर ली जाएगी।
सीसीएल के लंबित प्रकरणों के जल्द निस्तारण के लिए सीडीओ की ओर से बैंकों के शाखा प्रबंधकों को पत्र भेजकर निर्देश जारी किए गए हैं। उम्मीद है दिसंबर में लंबित आवेदनों को भी बैंकों की ओर से स्वीकृति दे दी जाएगी। सीसीएल स्वीकृति के बाद समूह की सदस्य रोजगार करके आत्मनिर्भर बन सकेंगी। -राजनाथ प्रसाद भगत, आयुक्त स्वत: रोजगार
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