‘द कश्मीर फाइल्स’ पर टिप्पणी को लेकर रैना ने इजराइली फिल्मकार पर साधा निशाना, कहा- पहले उन्हें कश्मीरी पंडितों...

जम्मू। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई के प्रमुख रवींद्र रैना ने मंगलवार को कहा कि फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर इजराइली फिल्म निदेशक नदव लापिद द्वारा की गई टिप्पणी केंद्र शासित प्रदेश में जमीनी स्थिति के बारे में उनकी जानकारी की कमी दर्शाती है, जबकि फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने उनकी नियुक्ति की जांच की मांग की।
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सरकार विरोधी फिल्मकार के रूप में देखे जाने वाले इज़राइली फिल्मकार नदव लापिद ने सोमवार को गोवा में 53वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के समापन कार्यक्रम में हिंदी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को दुष्प्रचार करने वाली और भद्दी फिल्म बताया था। वह इफ्फी के अंतरराष्ट्रीय जूरी अध्यक्ष थे।
रैना ने यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, उन्हें (लापिद) पहले जम्मू कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के शिविरों का दौरा करना चाहिए। इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद केवल उस व्यक्ति से की जाती है जो जमीनी स्थिति के साथ ही यह नहीं जानता कि आतंकवाद के चलते लोग कितने प्रभावित हुए हैं, चाहे उनका धर्म कोई भी हो। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद ने पिछले तीन दशकों में एक लाख लोगों की जान ली है और इसके चलते कश्मीरी पंडितों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा।
रैना ने कहा कि फिल्म आतंकवाद के पीड़ितों की दुर्दशा की सच्ची तस्वीर दर्शाती है। ग्यारह मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई 'द कश्मीर फाइल्स' इफ्फी में इंडियन पैनोरमा सेक्शन का हिस्सा थी। रैना ने भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन के बयान का स्वागत करते हुए कहा, संभवत: उन्होंने (लापिद ने) किसी के भड़काने पर ऐसा बयान दिया। उन्हें आतंकवाद के पीड़ितों - कश्मीरी पंडितों और मुसलमानों दोनों - से मिलना चाहिए और उनका दर्द महसूस करना चाहिए।
गिलोन ने फिल्म की आलोचना करने के लिए लापिद को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए क्योंकि उन्होंने फिल्म महोत्सव में जज के पैनल की अध्यक्षता करने के भारत के निमंत्रण का सबसे अधिक दुरुपयोग किया। लापिद की टिप्पणी की निंदा करते हुए, कश्मीरी पंडित फिल्म निर्माता और इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक पंडित ने अंतरराष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष के रूप में उनके चयन की जांच की मांग की। पंडित ने कहा, वह फलस्तीन के समर्थक हैं ... उनकी टिप्पणी केवल उनकी राय नहीं थी बल्कि राष्ट्र-विरोधी, वामपंथी उदारवादियों और अर्बन नक्सलियों के गिरोह का रुख था।
वह फिल्म और इसकी तकनीकियों के बारे में बात कर सकते थे लेकिन उन्होंने एक राजनीतिज्ञ के रूप में अधिक बात की। अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी के अध्यक्ष के रूप में लापिद को चुनने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए पंडित ने कहा कि लापिद ने कश्मीरी पंडितों की त्रासदी का मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा, वह एक ऐसी फिल्म के बारे में बात कर रहे हैं जिसमें मेरा दर्द दिखाया गया है। इसकी निंदा करने का मतलब है कि आपने आतंकवाद को अपना समर्थन दिया है। पंडित ने यह भी कहा कि किसी भी माफी से उन्हें संतुष्टि नहीं मिलेगी क्योंकि क्षति हो चुकी है।
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