बरेली: कुतुबखाना पुल की खोदाई में कुआं मिलने के बाद रुका काम, तरह-तरह की चर्चाएं आम

मजदूरों ने उस जगह पर काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं।

बरेली: कुतुबखाना पुल की खोदाई में कुआं मिलने के बाद रुका काम, तरह-तरह की चर्चाएं आम

कुतुबखाना फ्लाईओवर की खोदाई के दौरान पंजाबी मार्केट के पास तीन दिन पहले गहरा कुआं निकला है। इसकी जानकारी मिलते ही कुएं को देखने वालों

बरेली, अमृत विचार। कुतुबखाना फ्लाईओवर की खोदाई के दौरान पंजाबी मार्केट के पास तीन दिन पहले गहरा कुआं निकला है। इसकी जानकारी मिलते ही कुएं को देखने वालों का मजमा लग गया। वहीं, मजदूरों ने उस जगह पर काम करने से हाथ खड़े कर दिए। तब से उस जगह पर काम रुका हुआ है।

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वहीं, इसकी जानकारी के बाद जिम्मेदार अधिकारी जांच पड़ताल में जुटे हैं। वहीं स्थानीय निवासियों के अनुसार किसी दौर में इस इलाके को सराय खानम मोहल्ला के नाम से जाना जाता था। उस दौर में ही यहां बाजार बनाया गया था संभव है कि बाजार में पानी के उपयोग को लेकर यहां पक्का कुआं बनवाया गया हो। कुछ दशकों पहले तक सड़क के किनारे इमली के विशाल पेड़ हुआ करते थे। वहीं यहां खोदाई में मिलने वाला कुएं को करीब 300 से 400 साल पुराना बताया जा रहा है। क्योंकि बीच सड़क में इसके मिलने का मतलब है कि यह कुआं लंबे अरसे पहले बंद किया जा चुका होगा।

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हालांकि शहर के व्यस्ततम सड़क के बीचों-बीच गहरा पक्का कुआं निकलने की खबर के बाद हर कोई इसके इतिहास को जानना और सुनना चाह रहा है। वहीं शहर में इस कुएं को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो आम हो गई हैं। स्थानीय दुकानदार सुरेश कुमार नागपाल ने बताया कि यहां कारोबार करते हुए उन्हें करीब 40 साल हो गए हैं, उससे पहले यहां उनके पिताजी बैठा करते थे, लेकिन सड़क पर कुआं होने की कभी उन्होंने भी जिक्र नहीं किया था। अगर पिताजी ने देखा होता तो कभी न कभी जिक्र में बताया जरूर होता।

वहीं, स्थानीय दुकानदार दर्शन लाल भाटिया ने बताया कि वह पंजाबी मार्केट में साल 1970 के आस-पास कई विशाल इमली के पेड़ हुआ करते थे, जहां वह चप्पलों का फड़ लगाया करते थे, उस दौर में यहां कुआं जैसी कोई पहचान नहीं थी। लेकिन यहां कुतुबखाना फ्लाईओवर की खोदाई के दौरान अचानक कुआं निकलने की सूचना के बाद लोग इसके इतिहास को जानने के लिए आतुर नजर आ रहे हैं।

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स्थानीय दुकानदार परमजीत ने बताया कि आजादी के दौर में राजकीय इंटर कॉलेज की जमीन पर पंजाबी मार्केट को बनाया गया था। उस दौर में यहां कुआं होने की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि उनका इस इलाके में बचपन से आना-जाना रहा है, अगर यहां कुआं चालू हालत में होता तो जरूर देखने को मिलता। संभव है कि यह कुआं आजादी के दौर से काफी पहले चालू स्थिति में रहा होगा।

फिलहाल कुतुबखाना फ्लाईओवर निर्माण में खोदाई के दौरान इस कुएं के मिलने के बाद कार्यदारी संस्था द्वारा संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी जा चुकी है। इसके साथ ही गहरे प्राचीन कुएं को लोहे की चादर से ढक कर इस स्थान को छोड़कर आगे निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है।

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