चीन की रणनीति

चीन की रणनीति

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय चिंता के बीच चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने देश की सुरक्षा के सामने अस्थिरता का खतरा बढ़ने की बात कहते हुए पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयारी बनाए रखने तथा क्षमता बढ़ाने के वास्ते अपनी समस्त ऊर्जा लगाने का आदेश दिया।

चिंता की बात है कि चीन और भारत की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से गतिरोध जारी है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की खबरें अब रोजाना की बात हो गई है। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसार अक्साई चीन क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण की कोशिश आकस्मिक नहीं है।

नीदरलैंड डिफेंस एकेडमी ने एक अध्ययन में खुलासा किया कि पश्चिम में चीनी अतिक्रमण रणनीतिक रूप से नियोजित हैं जिनका उद्देश्य स्थायी नियंत्रण पाना है या कम से कम विवादित क्षेत्रों की स्पष्ट यथास्थिति बनाकर रखना है। यह उसकी समन्वित विस्तारवादी रणनीति का हिस्सा है।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत इसका विरोध करता है। अक्साई चीन लद्दाख का बड़ा इलाका है जो इस समय चीन के कब्जे में है। 

भारत सरकार के 2019 के आंकड़ों के अनुसार चीन की सेना ने 2016 से 2018 के बीच 1,025 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। चीन की सेना ने 2016 में 273 बार घुसपैठ की जो 2017 में बढ़कर 426 हो गयीं। 2018 में इस तरह की घटनाओं की संख्या 326 रही। चीन की विदेश नीति तेजी से आक्रामक हो गई है।

अपनी विस्तारवादी नीति के चलते चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है, वहीं ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम दक्षिण चीन सागर के हिस्सों पर अपने-अपने दावे रखते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप तथा सैन्य परिसर बनाए हैं।

उसका पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है। वह कम से कम 23 देशों की जमीन या समुद्री सीमाओं पर दावा जताता है। चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन तथा अमेरिका ने साझेदारी की है।

भारत के लिए एक विकल्प है कि वह खुद को इन तीनों देशों के साथ संयोजित करे। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। चीन के साथ भारत को सद्भावपूर्ण कूटनीतिक रिश्ते को अहमियत देनी चाहिए।

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