देहरादून: उच्च शिक्षा में प्रदेश के हर जिले में खुलेंगे दो मॉडल कॉलेज

देहरादून: उच्च शिक्षा में प्रदेश के हर जिले में खुलेंगे दो मॉडल कॉलेज

देहरादून, अमृत विचार। उच्च शिक्षा में प्रदेश के हर जिले में एक से दो मॉडल कॉलेज खुलेंगे। विभाग की ओर से विभिन्न जिलों में मॉडल कॉलेज बनाने का खाका तैयार किया जा रहा है। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली के मुताबिक इसके लिए शुरूआती अध्ययन कर लिया गया है। मॉडल कॉलेजों के खुलने से राष्ट्रीय …

देहरादून, अमृत विचार। उच्च शिक्षा में प्रदेश के हर जिले में एक से दो मॉडल कॉलेज खुलेंगे। विभाग की ओर से विभिन्न जिलों में मॉडल कॉलेज बनाने का खाका तैयार किया जा रहा है। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली के मुताबिक इसके लिए शुरूआती अध्ययन कर लिया गया है। मॉडल कॉलेजों के खुलने से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना को पूरा किया जा सकेगा।

प्रदेश में अभी 12 राज्य विश्वविद्यालय और 119 सरकारी एवं 21 अशासकीय कॉलेज हैं। सरकार की योजना है कि हर जिले में इनमें से एक या दो कॉलेज को मॉडल कॉलेज बनाया जाए। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली के मुताबिक विभाग के स्तर पर हर जिले में मॉडल कॉलेज बनाने पर काम किया जा रहा है। वहीं शिक्षा सत्र 2022-23 में छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एडमिशन दिए जा रहे हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पाठ्यक्रम निर्धारण समिति के अध्यक्ष प्रो.एनके जोशी के मुताबिक एनईपी को लेकर विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि इसके लिए विश्वविद्यालय में विभिन सेल गठित किए जाएं।

कुलपति एवं पाठ्यक्रम निर्धारण समिति के अध्यक्ष प्रो. एनके जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छात्र-छात्राओं को च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का लाभ मिलेगा और अब वह अपने मनपसंद विषय और विश्वविद्यालय चुन सकेंगे। नए पाठ्यक्रम रिसर्च, इनोवेशन और इंटरप्रेन्योरशिप बेस्ड होंगे। इसमें रोबोटिक्स जैसे एडवांस कोर्स रखे गये हैं। को-कैरिकुलम कोर्स के 6 सेमेस्टरों के हर सेमेस्टर में भारतीय ज्ञान परंपरा, कम्युनिकेशन स्किल, इन्वायरमेंट, मैनेजमेंट पैराडाइज ऑफ भगवत गीता, योगा, विवेकानंद स्टडीज, पर्सनली डेवलपमेंट, रामचरितमानस, ट्रेडिशनल नॉलेज, वैदिक साइंस और वैदिक गणित जैसे कोर्स भी रखे गये हैं।

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पाठ्यक्रम विभिन्न स्तर पर कई दौर की बैठकों और पब्लिक डोमेन से मिले सुझावों के बाद तैयार किया गया है। जिसे सभी विश्वविद्यालयों की बीओएस, एकेडमिक काउंसिल और एग्जेक्युटिव कमेटी ने अप्रूव्ड किया गया। नीति के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी और कैरिकुलम डिजाइन समिति गठित की गई।

 

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