स्मृति शेष: खामोश हो गया किसानों का जननायक मुलायम सिंह यादव, टूट गई 55 साल पुरानी दोस्ती

स्मृति शेष: खामोश हो गया किसानों का जननायक मुलायम सिंह यादव, टूट गई 55 साल पुरानी दोस्ती

इटावा। किसानों के मसीहा और जननायक,समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की आज दुनिया से चले गए है। नेता जी के गृह जिले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बसरेहर के इस परिवार से नेताजी के 55 साल पुराने रिश्ते कायम रहे है। इस परिवार के मुखिया घनश्याम दास बताते हैं कि नेता जी …

इटावा। किसानों के मसीहा और जननायक,समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की आज दुनिया से चले गए है। नेता जी के गृह जिले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बसरेहर के इस परिवार से नेताजी के 55 साल पुराने रिश्ते कायम रहे है। इस परिवार के मुखिया घनश्याम दास बताते हैं कि नेता जी के निधन से वह बेहद दुखी है नेता जी उनको हमेशा अपना छोटा भाई मानते रहे है। नेता जी जैसा दूसरा नेता आज की तारीख में सारे देश में देखने को नहीं मिलेगा।

परिवार के मुखिया घनश्यामदास पोरवाल नेता जी को अपना बड़ा भाई मानते हैं। घनश्याम दास बताते हैं कि नेताजी उनके हर सुख दुख में हमेशा हिस्सेदार रहे हैं। घनश्याम दास बताते हैं कि एक सड़क हादसे में जब है जीवन और मौत से जूझ रहे थे तो नेताजी मुलायम सिंह यादव ने उनको लखनऊ अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया जहां काफी दिनों तक उनका उपचार किया गया। डॉक्टरों से हर दिन नेताजी हालचाल लिया करते थे यहां तक कि अपने घर पर ही रख कर के उन्होंने उनका उपचार करवाया।

घनश्याम दास बताते हैं कि 1967 में नेताजी को पहली दफा विधायक निर्वाचित हुए लेकिन नेताजी को सबसे पहला टिकट दिलाने का काम कमांडर अर्जुन सिंह भदोरिया ने किया जिन्होंने इलाके में घूम घूम कर के लोगों के बीच जाकर के नेताजी के लिए ना केवल प्रचार किया बल्कि यह भी कहा एक नोट और एक वोट की बात है मुलायम सिंह यादव को जीता करके सदन में भेजो। चाहे हम को वोट देना या ना देना लेकिन मुलायम को वोट जरूर देना। घनश्याम दास बताते हैं कि नेताजी से उनके रिश्ते इतने प्रगाढ़ रहे हैं कि जब कभी भी नेता जी मेरे घर के बाहर से निकले हैं तो उन्होंने रुकना मुनासिब समझा है और मैंने उनका स्वागत सत्कार करने में कोई कमी नहीं रखी है।

घनश्याम दास बताते हैं कि नेताजी पहली दफा 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने मैं भी उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए गया तो नेता जी ने सम्मान के साथ में मुझे चंद्रशेखर जी के पास वाली कुर्सी पर बैठाया। नेता जी ने हमेशा रिश्ते निभाने में कोई कमी नहीं रखी है हमेशा भाई जैसे ही रिश्ते बना करके रखे हैं। घनश्याम दास की पत्नी शकुंतला देवी बताती है कि नेता जी ने उनके परिवार पर इतने एहसान की है कि मैं कभी भी चुका नहीं सकती हैं उनके पति मौत के करीब थे लेकिन नेता जी ने बड़े भाई का रिश्ता निभाते हुए उनके पति को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया उनकी नाबालिग बेटी गंभीर रूप से बीमार थी नेता जी ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में इलाज के साथ-साथ में जयपुर में भी इलाज कराया बदकिस्मती से वह बेटी दुनिया में नहीं रहे। मेरे दामाद की भी हालत बेहद खराब हुई तो नेता जी ने दमाद के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती शकुंतला देवी बताती है कि नेताजी जैसा दूसरा देता सारे देश में आज की तारीख में नहीं हो सकता है।

घनश्याम दास के बेटे राजेश कुमार बताते हैं कि नेताजी से उनके परिवार के ऐसे रिश्ते रहे कि नेताजी उनके परिवार में होने वाले हर सुख-दुख के आयोजन में प्रमुख रिश्तेदार रहे हैं । चाहे उनकी शादी की बात हो या फिर भाई की शादी हुई है हमेशा नेता जी आते रहे है। राजेश बताते हैं कि वह कभी नेताजी के इतने करीब थे कि हमेशा पार्टी का झंडा और डंडा उठाने में उन्हें कोई गुरेज नहीं था । शुरुआती दलित मजदूर किसान पार्टी से लेकर के समाजवादी पार्टी के गठन तक वह उनके बेहद करीब रहे 1999 में पार्टी का काम छोड़ कर अपने काम काज में बेसक लग गए हो लेकिन नेता जी से आज भी रिश्ते यथावत बरकरार बने हुए हैं।

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