सीबीआई ने डीजीएफटी के संयुक्त महानिदेशक के खिलाफ की FIR दर्ज, जानें पूरा मामला

सीबीआई ने डीजीएफटी के संयुक्त महानिदेशक के खिलाफ की FIR दर्ज, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर एक व्यापारी से वर्ष 2018 में एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के मामले में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के संयुक्त महानिदेशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। ये भी पढ़ें- ‘LG साहब ने मुझे मेरी पत्नी से …

नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर एक व्यापारी से वर्ष 2018 में एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के मामले में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के संयुक्त महानिदेशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

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उन्होंने बताया कि अधिकारी ने यह रिश्वत 118 करोड़ के धोखाधड़ी के मामले में ली थी। अधिकारियों ने बताया कि डीजीएफटी के संयुक्त महानिदेशक संभाजी ए चव्हाण और उप महानिदेशक प्रकाश एस कांबली और कारोबारी रमेश मनोहर चव्हाण एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई ने दिल्ली, दमन, मुंबई और पुणे सहित नौ स्थानों पर छापेमारी की। उन्होंने बताया कि चव्हाण और कांबली भारतीय व्यापार सेवा के क्रमश: 2008 और 2013 बैच के अधिकारी हैं।

प्राथमिकी के मुताबिक, ‘ डीजीएफटी की ओर से आठ निर्यात प्रोत्साहन साख गारंटी (ईपीसीजी) लाइसेंस राधा माधव कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरएमसीएल) के नाम से ‘पूंजीगत मशीनरी’ के आयात के लिए जारी किये गये थे। योजना के तहत आरएमसीएल को आयात से शुल्क में मिली रियायत की आठ गुना राशि के बराबर माल का निर्यात करना था।’

सीबीआई ने आरोप लगाया कि आयात के दौरान आरएमसीएल ने 16.81 करोड़ रुपये शुल्क की बचत की और उसे 135 करोड़ रुपये मूल्य के माल का निर्यात करना था। प्राथमिकी के मुताबिक, ‘ आरएमसीएल ने केवल 17 करोड़ रुपये का निर्यात किया, जो तय लक्ष्य से 118 करोड़ रुपये कम था। शुरुआत में योजना की इस शर्त को नजर अंदाज किया गया, लेकिन वर्ष 2017 के कैग (भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक) की ऑडिट में रेखांकित किए जाने के बाद डीजीएफटी ने कार्रवाई शुरू की।’

अधिकारियों ने बताया कि कंपनी ने कथित तौर पर दूसरी कंपनी के फर्जी शिपिंग बिल जमा किए जो उसके द्वारा शर्त के तहत निर्यात किए जाने वाले माल से मेल नहीं खाते थे। उन्होंने बताया कि संभाजी चव्हाण और कांबली ने कथित तौर पर रमेश चव्हाण और उनके चार्टर्ड आकउंटेंट के साथ तीसरे पक्ष के जरिये निर्यात और अन्य जरूरतों को दिखाकर ‘शर्तों को नजर अंदाज’ करने की साजिश की।

प्राथमिकी में कहा गया, ‘आरोप है कि उपरोक्त गैर कानूनी कार्य के लिए नकद में रिश्वत मांगी गई और सरकारी अधिकारी संभाजी चव्हाण ने डीजीएफटी सलाहकार रमेश चव्हाण से प्राप्त की। रमेश चव्हाण ने स्वयं इसका खुलासा राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के समक्ष किया।’ अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से मंजूरी मिलन के बाद सीबीआई ने मामले में आरोपी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की।

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