Bareilly: धूल-धुएं में घुट रहा शहर का दम, हवा में जहर घोल रहे अधूरे और खराब कार्य!

बरेली, अमृत विचार: शहर में राष्ट्रीय वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम के तहत होने वाले करोड़ों रुपये के कार्यों के भरोसे नगर निगम वायु प्रदूषण के विरुद्ध जंग लड़ रहा है मगर कार्यों में अनदेखी की जा रही है। कहीं खराब मिट्टी डालकर पौधरोपण किया जा रहा है तो कहीं सड़क किनारे धूल उड़ रही है।
राष्ट्रीय वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम के तहत शहर में हो रहे कामों पर 20 से 28 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इन दिनों आईवीआरआई पुल से इज्जतनगर रोड पर साइड पटरी पर करीब 2.80 लाख रुपये से पौधरोपण किया जा रहा है। इसके लिए मिट्टी खराब किस्म की डाली जा रही है। करीब 24 सौ मीटर के काम में लापरवाही के कारण धूल उड़ रही है। आसपास के दुकानदारों और ग्राहकों ने बताया कि धूल के कारण काफी परेशानी हो रही है। करीब एक माह से काम भी धीमी गति से किया जा रहा है।
इसी योजना से डेलापीर चौराहे से एयरफोर्स मार्ग तक करीब चार करोड़ की लागत से टाइल्स लगाने का काम किया गया है मगर अतिक्रमण होने और पास में कच्चा मार्ग होने से धूल उड़ रही है। संजय नगर में सड़क निर्माण तो किया जा रहा है लेकिन धूल को रोकने के कोई उपाय नहीं किए गए हैं। इसी तरह रामपुर रोड पर डिवाइडर पर लगे पौधे सिंचाई न होने के कारण सूख रहे हैं।
रेत, बजरी से उड़ने वाली धूल से वायु प्रदूषण
पीलीभीत बाईपास रोड, नैनीताल रोड, तुलाशेरपुर से डेलापीर जाने वाले मार्ग, स्टेडियम रोड, सेटेलाइट बस स्टेशन आदि जगहों पर रेत बजरी की दुकानें है। जहां पर निर्माण सामग्री को वाहनों से लादते और उतारते समय धूल उड़ती है पर नगर निगम इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
कूड़े में धधक रही है आग
नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा जलाने से वायु प्रदूषण नियंत्रित होने के बजाय बढ़ रहा है। शुक्रवार को विकास भवन रोड पर एक सरकारी परिसर में कूड़ा जल रहा था। यहां पर ठेला लगाने वाले ने बताया कि तीन दिन से आग लगी है पर कोई बुझाने नहीं आया है। कुछ दिन पहले नगर आयुक्त के निरीक्षण में शहामतगंज में कूड़ा जलता मिला। पीलीभीत बाईपास पर कूड़ा डंपिंग ग्राउंड में आए दिन आग लगने से धुंआ उठता रहता है।
नॉन-अटेनमेंट शहरों की श्रेणी में चिह्नित है बरेली
वायु प्रदूषण पांच साल तक लगातार बढ़ते हुए खतरनाक स्तर तक पहुंचने के बाद वर्ष 2019 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बरेली को नॉन-अटेनमेंट शहरों की श्रेणी में चिह्नित किया था। इसके बाद यहां आईआईटी कानपुर की टीम द्वारा अध्ययन के बाद नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत काम करने की योजना बनाई गई थी।
शहर में वायु प्रदूषण का सबसे अधिक उत्सर्जन और स्रोत आधारित अध्ययन में कहा गया था कि सड़कों पर उड़ने वाली धूल प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। कूड़ा जलाने के साथ उद्योगों और यातायात से उत्सर्जित धुआं भी प्रमुख कारण बताया था। इस वजह से पांच साल के लिए बरेली का चयन नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के लिए चयन किया गया है।
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत होने वाले काम में लापरवाही बरतने वाली एक एजेंसी पर जुर्माने की कार्रवाई की है। प्लांटेशन के लिए अच्छी मिट्टी का उपयोग किया जाना है। इसकी जांच की जाएगी। समय से काम पूरा करने और धूल से बचाव के उपाय करने के निर्देश दिए हैं- संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त।
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