हसदेव में विरोध के बीच कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुरू, ग्रामीणों को हिरासत में लिया
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित जैव विविधता संपन्न हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदानों की मंजूरी के विरोध के बीच वन विभाग ने मंगलवार को परसा पूर्व कांते बासन (पीईकेबी) कोयला खदान परियोजना के दूसरे चरण के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। जिले के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि उदयपुर …
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित जैव विविधता संपन्न हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदानों की मंजूरी के विरोध के बीच वन विभाग ने मंगलवार को परसा पूर्व कांते बासन (पीईकेबी) कोयला खदान परियोजना के दूसरे चरण के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी।
जिले के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि उदयपुर विकासखंड के पेंड्रामार-घाटबर्रा गांव के करीब पेड़ों की कटाई शुरू की गई है। इसके लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि कार्रवाई का विरोध करने के लिए स्थानीय लोगों को कथित तौर पर उकसाने के आरोप में घाटबर्रा और आसपास के गांवों के करीब 10 ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है।
सरगुजा जिले के कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया कि पीईकेबी कोयला खदान के दूसरे चरण के लिए वन विभाग ने आज सुबह पेंड्रामार-घाटबर्रा जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। कुमार ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए वहां पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। कलेक्टर से जब पूछा गया कि राज्य सरकार ने क्षेत्र में नई खदान नहीं शुरू करने का आश्वासन दिया था तब उन्होंने कहा कि पीईकेबी एक पुरानी खदान है और इसके लिए आवश्यक मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।
जिला प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि काम में बाधा डालने और पेड़ काटने की कवायद के खिलाफ स्थानीय लोगों को उकसाने के आरोप में करीब 10 ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है तथा उन्हें पुलिस थानों में भेजा गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस वर्ष मार्च माह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर राजस्थान को आवंटित कोयला ब्लॉक को शुरू करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने की मांग की थी।
इसके बाद छत्त्तीसगढ़ सरकार ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित परसा खान (सरगुजा और सूरजपुर जिले) के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि और पीईकेकेबी चरण-दो (सरगुजा) के लिए 1,136.328 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग की अनुमति दी थी।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में आरआरवीयूएनएल को आवंटित एक अन्य कोयला ब्लॉक-कांटे एक्सटेंशन जन सुनवाई के लिए लंबित है। ‘हसदेव अरंड बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले स्थानीय ग्रामीण पिछले कई महीनों से इन खदानों के आवंटन का विरोध कर रहे हैं। वन विभाग ने इस वर्ष मई में पीईकेबी चरण-2 कोयला खदान की शुरुआत करने के लिए पेड़ काटने की कवायद शुरू की थी।
जिसका स्थानीय ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया था। बाद में इस कार्रवाई को रोक दिया गया था। इसके बाद, राज्य सरकार ने जून में इन तीन प्रस्तावित कोयला खदान परियोजनाओं पर कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। कोयला खदानों के आवंटन का विरोध कर रहे ‘छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन’ (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार द्वारा हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोई नई खदान नहीं खोले जाने का आश्वासन देने के बावजूद वहां पेड़ो की कटाई की जा रही है तथा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया जा रहा है।
शुक्ला ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार की तरह छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस सरकार कॉरपोरेट्स का पक्ष ले रही है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन से 1,70,000 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाएगा और मानव-हाथी संघर्ष शुरू हो जाएगा।
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