देहरादून: उत्तराखंड के बुग्यालों के संरक्षण के लिए वन विभाग तैयार करेगा एसओपी, भूस्खलन पर काबू पाने की योजना
देहरादून, अमृत विचार। उत्तराखंड के बुग्यालों (हरे घास के मैदान) के संरक्षण के लिए वन विभाग ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य के बुग्यालों में बढ़ते भूस्खलन और भू-धंसाव की समस्या को रोकने के लिए उठाया जा रहा है। विशेष रूप से दयारा बुग्याल और अन्य बुग्यालों में प्राकृतिक और मानवीय कारणों से हो रही इस समस्या को दूर करने के लिए विभाग सक्रिय हो गया है।
राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन और भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धर्म सिंह मीणा ने रविवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि बुग्यालों के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन भी सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दयारा बुग्याल पारिस्थितिकी के दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है और यहाँ किए गए पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना कार्यों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
22 बुग्यालों में हुआ 83 हेक्टेयर क्षेत्र में काम
वन संरक्षक धर्म सिंह मीणा ने बताया कि अब तक 22 बुग्यालों में लगभग 83 हेक्टेयर क्षेत्र में संरक्षण कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी बुग्यालों में जैविक दबाव कम करने के लिए जल्द ही एसओपी तैयार की जाएगी, जिससे भूस्खलन और भू-धंसाव की समस्या को नियंत्रित किया जा सके।
हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का निर्माण तेजी से
डॉ. धनंजय मोहन ने गंगोत्री के निकट निर्माणाधीन हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का निरीक्षण किया और कहा कि एक साल के भीतर यह केंद्र तैयार हो जाएगा। यह केंद्र क्षेत्र की अद्भुत प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
गंगोत्री नेशनल पार्क का विकास
उन्होंने यह भी बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क को ट्रांस हिमालयन नेशनल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें हिम तेंदुओं की अच्छी संख्या पाई गई है। इस क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन को देखते हुए सफारी जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे यहाँ आने वाले पर्यटकों का अनुभव और भी रोमांचक बनेगा।
वन विभाग की इस नई पहल से राज्य के बुग्यालों और वन्य जीवों के संरक्षण में एक नई दिशा मिलेगी।
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