बरेली: मनमानी से नंबर चढ़वाने को लेकर विभागाध्यक्ष और एग्जामिनर में नोकझोंक, फेंका समान

बरेली, अमृत विचार। बरेली कॉलेज में इन दिनों एमए, एमकॉम की मौखिक परीक्षा हो रही है। बरेली कॉलेज में इतिहास विभाग में मौखिक परीक्षा के दौरान नंबर देने को लेकर विभागाध्यक्ष व बाहर से आए एग्जामिनर भीड़ गए। इस दौरान गुस्साए विभागाध्यक्ष ने बच्चों के सामने ही सामान को फेंक दिया और वहां से चले …

बरेली, अमृत विचार। बरेली कॉलेज में इन दिनों एमए, एमकॉम की मौखिक परीक्षा हो रही है। बरेली कॉलेज में इतिहास विभाग में मौखिक परीक्षा के दौरान नंबर देने को लेकर विभागाध्यक्ष व बाहर से आए एग्जामिनर भीड़ गए। इस दौरान गुस्साए विभागाध्यक्ष ने बच्चों के सामने ही सामान को फेंक दिया और वहां से चले गए। इस दौरान विभागाध्यक्ष के तेज रफ्तार में गाड़ी पीछे करने के दौरान प्रॉक्टर व विद्यार्थियों को टक्कर लग गई। हालाकि उन्हें मामूली चोट आई। इस बीच वहां काफी देर तक अफरा-तफरी का माहौल रहा।

गुरूवार को बरेली कॉलेज के इतिहास विभाग में मौखिक परीक्षा शुरू कराई थी। जिसमें ऋषिकेश से शिक्षक सिराज अहमद एग्जाम कराने आए थे। उनका आरोप है कि गुरूवार से वह मौखिक परीक्षा कराने आए हुए थे। उन्हें इतिहास विभाग के शिक्षकों ने चाय-पानी तक को नहीं पूछा। एग्जाम के दौरान विभागध्यक्ष डॉक्टर एके मेहरोत्रा वहां आए और अपनी मर्जी से बच्चों को नंबर देने की बात करने लगे। जिसका एग्जामिनर ने विरोध कर दिया। फिर क्या था विभागध्यक्ष का पारा बढ़ गया।

उन्होंने बच्चों के सामने ही एग्जामिनर पर नाराजगी जाहिर करते हुए वहां रखे सामान को फेंक दिया। विभाग में हंगामा मच गया। अफरा-तफरी के बीच विभागध्यक्ष गुस्से में विभाग से बाहर आ गए और अपनी कार में बैठने के समय उसे पीछे करने के दौरान वहां खड़े प्रॉक्टर इंद्रवर सिंह व छात्रों को टक्कर लग गई और वह तेजी से कार दौड़ाते हुए वहां से चले गए। इस मामले में मौखिक परीक्षा लेने आए शिक्षक सिराज अहमन ने बताया कि वह गुरुवार को परीक्षा लेने ऋषिकेश से आए हुए थे।

उनसे किसी शिक्षक ने चाय-पानी तक को नहीं पूछा। 12 बजे के समय विभागध्यक्ष आए और जब उन्होंने सवाल पूछने को कहा तो विभागध्यक्ष अपनी मर्जी से बच्चों को नंबर देने की बात करने लगे। उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। विभागध्यक्ष उन पर भड़क गए। इस दौरान विभाग में काफी अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। इसकी जानकारी प्राचार्य ओपी राय को हुई तो वह दौड़ते हुए इतिहास विभाग में आ गए। उन्होंने विभागाध्यक्ष के इस व्यवहार पर एग्जामिनर से माफी मांगी।

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