बरेली: कई रिमाइंडर के बाद भी नहीं भरा बिजली बिल, असमंजस में स्वास्थ्य विभाग
बरेली,अमृत विचार। 300 बेड अस्पताल का बिजली बिल अफसरों के गले की फांस बन गया है। अस्पताल का निर्माण पूर्ण होने के बाद करीब छह वर्षों तक भवन हस्तांतरण का खेल चलता रहा। हाल ही में भवन स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया मगर बिजली बिल जमा नहीं किया गया। बिजली विभाग की ओर …
बरेली,अमृत विचार। 300 बेड अस्पताल का बिजली बिल अफसरों के गले की फांस बन गया है। अस्पताल का निर्माण पूर्ण होने के बाद करीब छह वर्षों तक भवन हस्तांतरण का खेल चलता रहा। हाल ही में भवन स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया मगर बिजली बिल जमा नहीं किया गया।
बिजली विभाग की ओर से 1.44 करोड़ का बिल बकाया होने का नोटिस भेजे जाने के बाद विभाग असमंजस में है कि भवन की निर्माणदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम है, तो बिल भुगतान की जिम्मेदारी उसकी भी है। हालांकि, राजकीय निर्माण निगम का तर्क है कि बिजली विभाग ने बीते तीन साल का बिल जारी किया है। कोविड की दस्तक के बाद से स्वास्थ्य विभाग अस्पताल का प्रयोग कर रहा है तो बिल का भुगतान स्वास्थ्य विभाग ही करेगा। फिलहाल, रिमाइंडर के बाद भी बिल नहीं भरा गया है।
2019 में लिया था कनेक्शन
2019 में जब कोरोना ने दस्तक दी तो शासन के आदेश पर 300 बेड अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया था। उसी समय बिजली विभाग से कनेक्शन लिया गया था। यहां ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं, जिससे अस्पताल के साथ ही आवासों में भी बिजली सप्लाई दी जा रही है।
कर्मचारी हीटर से पका रहे भोजन तो बिल तो बढ़ेगा
सूत्रों के अनुसार 300 बेड अस्पताल के कोरोना फ्लू कार्नर, लैब, कोविड एल टू वार्ड समेत डॉक्टरों के आवासों में भी एसी लगी हुई है। वहीं, जो नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारी आवासों में निवास कर रहे हैं अधिकांश कर्मचारी हीटर से खाना पकाते हैं। वहीं, सुबह से शाम तक एसी चलाई जा रही है। ऐसे में बिजली बिल बढ़ना लाजमी है।
वरअस्थाई रूप से 2019 में अस्पताल में कनेक्शन लिया गया था। 2021 में उसे स्थाई कनेक्शन कर दिया गया। 300 किलोवाट कनेक्शन पर 1 करोड़ रुपये से अधिक का बिल बकाया है, मगर कनेक्शन लेने के बाद आज तक एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया गया है।—अनुज गुप्ता, अधिशासी अभियंता विद्युत विभाग
बिजली बिल के भुगतान संबंधी वार्ता राजकीय निर्माण निगम के अफसरों से की जाएगी, हालांकि अभी बजट नहीं आया है। बजट मिलने के बाद ही भुगतान किया जा सकेगा।—डॉ. बलवीर सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी
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