एक आंदोलन ऐसा भी: अवैध खनन के खिलाफ साधु ने दे दी अपने प्राण की आहुति, देखें Video

एक आंदोलन ऐसा भी: अवैध खनन के खिलाफ साधु ने दे दी अपने प्राण की आहुति, देखें Video

जयपुर। भरतपुर (राजस्थान) में आत्मदाह का प्रयास करने वाले साधु विजय दास का शुक्रवार देर रात दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। खनन गतिविधियों को बंद करने की मांग को लेकर साधु-संतों के आंदोलन के बीच बुधवार को विजय ने आत्मदाह का प्रयास किया था जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में एसएमएस अस्पताल …

जयपुर। भरतपुर (राजस्थान) में आत्मदाह का प्रयास करने वाले साधु विजय दास का शुक्रवार देर रात दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। खनन गतिविधियों को बंद करने की मांग को लेकर साधु-संतों के आंदोलन के बीच बुधवार को विजय ने आत्मदाह का प्रयास किया था जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में एसएमएस अस्पताल (जयपुर) में भर्ती कराया गया था। राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग इलाके में आत्मदाह का प्रयास करने वाले साधु विजय दास का शुक्रवार देर रात नयी दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया।

घायल साधु को बृहस्पतिवार को गंभीर अवस्था में नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। नयी दिल्ली में मौजूद पहाड़ी भरतपुर के उपखंड अधिकारी संजय गोयल ने साधु के निधन की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि साधु विजय दास का शुक्रवार देर रात 2.30 बजे निधन हो गया। पोस्टमार्टम के बाद विजय दास का पार्थिव शहर उत्तर प्रदेश के बरसाना ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा।

उल्लेखनीय है कि डीग क्षेत्र में खनन गतिविधियों को बंद करने की मांग को लेकर पसोपा में साधु-संतों का आंदोलन चल रहा था। इस आंदोलन के बीच बुधवार को साधु विजय दास ने आत्मदाह का प्रयास किया था। विजय दास को गंभीर हालत में इलाज के लिए जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संत बाबा विजय दास के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया, बाबा विजय दास जी दिव्य ज्योति में लीन हो गए हैं…उन्होंने ब्रज 84 कोस क्षेत्र को अवैध उत्खनन से बचाने के लिए अपने प्राण की आहुति दी है…हठधर्मी राजस्थान सरकार की अनदेखी ने उन्हें अग्निस्नान के लिए विवश किया था।

बाबा विजय दास हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे। साधु बनने से पहले से उनका नाम मधुसूदन शर्मा था। वह कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। बाबा विजय दास के बेटे और बहू की मौत हो गई थी जिसके बाद बाबा विजय दास और उनकी 3 साल की पोती रह गई। बाबा विजयदास की पत्नी की मौत पूर्व में हो चुकी थी । इस घटना के बाद वह साधु बन गए थे । बेटे और बहू की मौत के बाद वह अपनी पोती को लेकर बरसाने के मान मंदिर आ गए । बाबा विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में पढ़ने के लिए भर्ती करा दिया ।

दरअसल राजस्थान के भरतपुर में ब्रज क्षेत्र की पहाड़ियों में हो रहे खनन को लेकर लगातार विरोध जताया जा रहा है। इसे लेकर यहां साधु संत पिछले 550 दिनों से आंदोलन कर रहे थे। संत इस मुद्दे पर सरकार की ओर से सुनवाई नहीं किए जाने की नाराजगी जता रहे थे। मामले में बढ़ती नाराजगी के बीच आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बाबा हरि बोल दास ने आत्मदाह की चेतावनी तक सरकार को दी दे थी। 20 जुलाई को आंदोलन को तेज करने का अल्टीमेटम दिया गया। इसके बाद साधु संतों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह आगे आए।

मंत्री विश्वेंद्र सिंह और साधुओं के बीच वार्ता का दौर शुरू हुआ, लेकिन इसी बीच मांग मंगवाने के लिए पहले यहां बाबा नारायण दास मोबाइल टॉवर पर चढ़ गए। वहीं इसके बाद बाबा विजयदास से आत्मदाह का प्रयास करते हुए खुद को आग लगा ली।

 

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