बाराबंकी: दुनिया मिसाल दे तो हमारी मिसाल दे, 43 बार रक्तदान कर बनाया रिकॉर्ड

बाराबंकी: दुनिया मिसाल दे तो हमारी मिसाल दे, 43 बार रक्तदान कर बनाया रिकॉर्ड

अमृत विचार, बाराबंकी। जैसे ही किसी रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त को जरूरत होती है ज़ेहन मे बंकी ब्लॉक के मकदूमपुर गदिया निवासी 56 वर्षीय रामानंद वर्मा की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है । रामानंद अब तक 43 बार रक्तदान कर ‘ रक्तदाताओं ‘ के आइकान बन चुके हैं साथ ही बाराबंकी तारीख़ के अहम …

अमृत विचार, बाराबंकी। जैसे ही किसी रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त को जरूरत होती है ज़ेहन मे बंकी ब्लॉक के मकदूमपुर गदिया निवासी 56 वर्षीय रामानंद वर्मा की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है । रामानंद अब तक 43 बार रक्तदान कर ‘ रक्तदाताओं ‘ के आइकान बन चुके हैं साथ ही बाराबंकी तारीख़ के अहम किरदार ।

खून के अभाव में जैसे ही किसी की जिंदगी दांव पर होने की खबर जैसे ही इनको मिलती है ,इनमें जो तड़प उठती है वो काबिले तारीफ होती है ।ऐसे व्यक्तित्व पर मशहूर शायर नूरूल इस्लाम में पंक्तियां सटीक बैठती है ‘ ऐ मालिक हुनर इतना हमें कमाल दे, दुनिया मिसाल दे तो हमारी मिसाल दे ।

2006 में एक महिला अपने एकलौते बेटे को लेकर जिला अस्पताल में थी खून की उपलब्धता न हो पाने की वजह से उसके बेटे की जान चली गई । रामानंद ने उसी दिन पहली बार रक्तदान किया था , जिससे रक्त दान को लेकर उनके मन की सारी भ्रान्तियां दूर हो हुई और मन की झिझक खुल गई । यहां मिली प्रेरणा से मन रक्तदान के प्रति अनवरत दौड़ने लगा ।

उसी दिन रामानंद ने यह संकल्प लिया कि वह खून की कमी से किसी की जान नहीं जाने दूंगा । भारतीय किसान यूनियन टिकैत बंकी ब्लाक अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने संगठन में संगठन में इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया ।उस समय किसान यूनियन से जुड़े किसानों के हक हुक़ूक़ की लड़ाई लड़ने वाले तत्कालीन नेता स्वर्गीय मुकेश सिंह ने उनके इस संकल्प को ताकत दी और शुरू हो गया हर महीने रक्तदान का सिलसिला रामानंद का संकल्प परवान चढ़ने लगा ।

बाराबंकी जिला ब्लड डोनेट करने में आज सबसे आगे हैं । फिर क्या था नेक काम का ये कारवां आगे बढ़ता गया । बतौर रामानंद भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने प्रत्येक ब्लड डोनेटर की बाकायदा लिस्ट बना रखी है । कुछ ऐसे ब्लड ग्रुप है जो सर्व सुलभ नहीं है । गम्भीर मरीजों को खून की जब जरूरत पड़ती है तो रक्तदाताओं को बुला कर मरीजों की जान बचाना उनका और उनके संगठन का व्यवहार बन गया ।

इसके साथ वो खुद तो रक्तदान करते ही रहे । साथ ही युवाओं को भी प्रेरित किया । रामानंद की मुहिम रंग लाई अब तो सामाजिक व राजनैतिक भी उनकी इस प्रेरणा से जुड़ किसी भी विशेष आयोजन की शुरुआत रक्तदान से ही करने लगे । जिला अस्पताल में शिविर लगाकर कई बार रक्तदान किया ।वे बताते हैं पहले बहुत कम लोग रक्त दान के लिए आगे आये बाद में संख्या 30 से 35 हुई ।

वर्तमान मे नौजवानों की 150 से अधिक की टीम है ।जो औसतन साल में दो से तीन बार ब्लड डोनेट करते हैं । रामानंद स्वयं 43 बार रक्तदान कर चुके हैं ।वो एक वाक्या बताते हैं लखनऊ के लोहिया अस्पताल मे एक मरीज को ब्लड की तत्काल आवश्यकता थी । ब्लड मैच नहीं कर रहा था । सूचना पर अपनी टीम के साथ पहुंच कर रक्तदान कर मरीज की जान बचाई ऐसा करने पर दिल में अजीब खुशी मिलती है और बड़ी संतुष्टि ।इस तरह के कई उदहारण बताकर वो काफी उत्साहित दिखे ।

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