मुरादाबाद: बिना डिग्री लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले दो झोलाछापों की दुकान सील

मुरादाबाद: बिना डिग्री लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले दो झोलाछापों की दुकान सील

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिले में बिना डिग्रीधारी चिकित्सकों के और बिना पंजीयन के लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले दो झोलाछापों की दुकान को शुक्रवार को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने सील करा दिया। उसमें भर्ती सामान्य मरीजों को उन्होंने घर भेज दिया। दोनों के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय थाने में तहरीर …

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिले में बिना डिग्रीधारी चिकित्सकों के और बिना पंजीयन के लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले दो झोलाछापों की दुकान को शुक्रवार को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने सील करा दिया। उसमें भर्ती सामान्य मरीजों को उन्होंने घर भेज दिया। दोनों के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय थाने में तहरीर दी।

मुख्य चिकित्साधिकारी से स्थानीय एक शिकायतकर्ता ने फोन कर बताया कि उनके क्षेत्र में दो झोलाछाप की दुकान संचालित होती हैं। इनके पास न तो कोई डिग्री है और न पंजीयन। वह लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं। मरीजों का आपरेशन भी अप्रशिक्षित व्यक्ति करते हैं। इस पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अजय शर्मा को निर्देश दिया कि उनके खिलाफ कार्रवाई करें।

इस पर वह टीम लेकर मूंढापांडे के शिहोरा बाजे गांव में पहुंचे। वहां संचालित रहमत हेल्थ केयर और न्यू जीवन दान हास्पिटल के संचालकों से पूछताछ की। जिस पर वह न कोई डिग्री दिखा सके और न ही स्वास्थ्य विभाग में पंजीयन का प्रमाण पत्र।

इस पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अजय शर्मा ने दोनों झोलाछापों की दुकान को सील कर दिया। उसमें भर्ती मरीजों को घर भेज दिया। उन्होंने बताया कि इन दोनों के संचालकों के पास न तो कोई डिग्री थी और न कोई डिग्रीधारी चिकित्सक और प्रशिक्षित स्टाफ। स्वास्थ्य विभाग में भी उनका पंजीयन नहीं था। इसके चलते दोनों को सील कर स्थानीय थाने में उनके संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तहरीर दे दी है।

केवल शिकायत पर बढ़ते हैं कदम
स्वास्थ्य विभाग में 425 क्लीनिक और नर्सिंग होम का ही पंजीयन है, लेकिन जिले में एक हजार से अधिक नर्सिंग होम व क्लीनिक का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। चिकित्साधिकारियों के संज्ञान में शहर से लेकर देहात तक के झोलाछापों की करतूत होने के बाद भी वह बिना शिकायत के कदम आगे नहीं बढ़ाते। शिकायत से पहले चिकित्साधिकारियों की जानकारी में होने के बाद भी उन्हें जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की छूट मिली रहती है। इससे विभाग की लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली की पोल खुद खुलती है। सवाल यह है कि जब तक ऐसे झोलाछापों के हाथों किसी की जान न चली जाए या कोई शिकायत न मिले इनकी आंखें क्यों बंद रहती है।

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