बरेली: अपनों ने किया किनारा, अनाथालय ने दिया सहारा

बरेली, अमृत विचार। समय का चक्र भी कई बार ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है, जहां से कोई राह नहीं सूझती। इन हालातों में कोई उम्मीद की रोशनी दिखा दे तो उससे बड़ा मानवता का धर्म कोई नहीं हो सकता। मोहनपुर के शरीफ ने एक अनाथ लड़की को जीने की राह दिखा कर …
बरेली, अमृत विचार। समय का चक्र भी कई बार ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है, जहां से कोई राह नहीं सूझती। इन हालातों में कोई उम्मीद की रोशनी दिखा दे तो उससे बड़ा मानवता का धर्म कोई नहीं हो सकता। मोहनपुर के शरीफ ने एक अनाथ लड़की को जीने की राह दिखा कर मानवता का काम किया है।
दरअसल, रविवार दोपहर करीब 1 बजे शरीफ अपने रिक्शे पर बिठा कर एक लड़की को आर्य समाज अनाथालय ले आए। लड़की की उम्र करीब 15 वर्ष होगी। उसके माथे पर परेशानी और तनाव की लकीरें पसीने के साथ और स्पष्ट दिख रही थीं।
अनाथालय प्रबंधन के लोगों ने जब लड़की से बात की तो पता चला कि पिछले साल कोरोना संक्रमण की वजह दिल्ली में रह रहे उसके पिता की मृत्यु हो गई। कुछ माह पहले उसकी मां ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। ऐसे हालातों का नन्ही सी उम्र में सामना करना इतना आसान नहीं था। किशोरी मूल रूप से बरेली की रहने वाली थी।
वह माता पिता के साथ दिल्ली में रहती थी। सिर से माता पिता का साया उठने के बाद वह ताऊ के घर चली आई। उम्मीद थी कि पिता के न रहने पर सगे संबंधियों का सहरा मिल जाएगा, लेकिन ताऊ ने उसे घर से निकाल दिया। किस्मत को कोस रही लड़की ताऊ के घर से निकले जाने पर शहर में इन दिनों शादियों में जाकर पेट भरने को मजबूर थी।
सड़कों की खाक छान रही लड़की को संयोगवश रिक्शा चालक शरीफ मिल गए। लड़की ने उन्हें अपनी पूरी दास्तान बताई। आपबीती सुन शरीफ की आंखें भर आईं। उन्होंने किशोरी को रिक्शे से अनाथालय पहुंचाया। किशोरी यहां रहने वाली लड़कियों से मिलकर बहुत खुश है। मामले में अनाथालय प्रबंधन ने विभागीय करवाई पूरी कर संबंधित विभागों को सूचित कर दिया है।
अनाथालय पहुंची बिटिया के संबंध में सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। उसके रहने के साथ उसको ज्यादा से ज्यादा शिक्षित करने का प्रयास भी किया जाएगा। बेटियों को इस प्रकार मजधार में छोड़ना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है।—हर्ष वर्धन, प्रधान, आर्य समाज अनाथालय
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