हल्द्वानी: राज्य गठन में अहम भूमिका निभाई फिर क्यों जनता ने UKD ठुकराई ? सुनिए जमीनी नेताओं की दो टूक

हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड के निर्माण से लेकर राज्य के हर मुद्दों को पूरजोर तरीके से उठाने में उत्तराखंड क्रांति दल की अहम भूमिका रही है, लेकिन वक्त के साथ-साथ शीर्ष नेताओं की महत्वाकांक्षा, बेहतर लीडरशिप का ना होना और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा यूकेडी के जनाधार खोने की बड़ी वजह बन गया। 21 सालों …
हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड के निर्माण से लेकर राज्य के हर मुद्दों को पूरजोर तरीके से उठाने में उत्तराखंड क्रांति दल की अहम भूमिका रही है, लेकिन वक्त के साथ-साथ शीर्ष नेताओं की महत्वाकांक्षा, बेहतर लीडरशिप का ना होना और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा यूकेडी के जनाधार खोने की बड़ी वजह बन गया।

21 सालों में जिस पार्टी को सरकार बनाने तक पहुंच जाना था, वे आज अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने को मजबूर हैं। यही वजह है कि 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी के एक भी प्रत्याशी को जनता ने विधायक बनने का अवसर नहीं दिया। आखिर क्यों जनता ने उत्तराखंड क्रांति दल को नकार दिया और कहां कमी रह गई, इन तमाम सवालों पर आज हल्द्वानी में यूकेडी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता एकजुट हुए। इस दौरान यूकेडी के जमीनी कार्यकर्ताओं ने जमकर अपने मन की पीड़ा को जाहिर किया।

बताते चलें कि उत्तराखंड में यूकेडी के जनाधार के ना बढ़ने की वजह यूकेडी के खुद के नेताओं की महत्वाकांक्षा रही। 2007 में यूकेडी ने भाजपा को समर्थन दिया और यूकेडी कोटे से दिवाकर भट्ट कैबिनेट मंत्री बने। 2012 के चुनावों में भी यूकेडी के एकमात्र विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने कांग्रेस को समर्थन दिया और यूकेडी के कोटे से सरकार में मंत्री रहे। खास बात ये रही कि जो भी विधायक सरकारों में मंत्री बने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। दिवाकर भट्ट को 2012 में पार्टी से निकाला गया और उसके बाद प्रीतम सिंह पंवार को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

यही वजह रही कि शीर्ष नेताओं की महत्वाकांक्षा और आपसी गुटबाजी की वजह से यूकेडी का जनाधार गिरता पर चला गया। हालांकि यूकेडी के नेता मानते हैं कि भाजपा और कांग्रेस की धनबल और धर्म और जाति आधारित राजनीति ने भी कहीं न कहीं जनता को बरगलाने में अहम भूमिका निभाई। अब यूकेडी के नेताओं को उम्मीद है कि एक बार फिर 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी एक बार जमीनी मुद्दों को साथ में लेकर नए तेवर और जोश के साथ जनता के बीच उतरेगी।

वरिष्ठ यूकेडी नेता और राज्य आंदोलनकारी भुवन जोशी ने कहा कि आज प्रदेश की जड़ों से जुड़ी पार्टी का ऐसा हश्र शीर्ष नेताओं की हठधर्मिता का परिणाम है। लगातार जमीनी कार्यकर्ताओं के सुझावों को अनसुना किया गया। बदलते वक्त में जनता के बीच नहीं पहुंचना भी यूकेडी के इस हाल का परिणाम है। केंद्रीय महामंत्री सुशील उनियाल ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की धर्म और जाति पर आधारित राजनीति में जनता फंसकर रह गई। वहीं जल, जंगल, जमीन, रोजगार और भूकानून जैसे मुद्दों को लेकर मुखर हुई यूकेडी की आवाज को जनता ने नकार दिया। उन्होंने कहा कि 2027 में एक बार फिर यूकेडी नए तेवर के साथ जनता के बीच जाएगी, इसके लिए जागरुक और कर्मठ कार्यकर्ताओं को एकजुट किया जाएगा।
प्रमुख राज्य आंदोलनकारी और श्रमिक नेता एचआर बहुगुणा ने उत्तराखंड के हितों के लिए जल, जंगल, जमीन, पहाड़ के पलायन पर चिंता व्यक्त की और इस दिशा में सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की। इस मौके पर जिलाध्यक्ष दिनेश चंद्र भट्ट, वरिष्ठ यूकेडी नेता चंद्रशेखर कापड़ी, केंद्रीय सचिव युवा उत्तम सिंह बिष्ट , जिलाध्यक्ष युवा अशोक बोहरा, मोहन कांडपाल, हेमंत बोरा आदि रहे।