शाहजहांपुर: डीजल महंगा, महंगी खाद-सिंचाई…खेती पर भी महंगाई आई

शाहजहांपुर, अमृत विचार। रोजाना बढ़ रही महंगाई ने सभी का जीना दूभर कर दिया है। महंगाई की मार से हर कोई जूझ रहा है, जिसमें किसान भी शामिल हैं। डीजल, खाद, कीटनाशक व बीज आदि सब कुछ महंगा हो गया है। ऐसे में खेती किसानी की लागत लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन आय में …
शाहजहांपुर, अमृत विचार। रोजाना बढ़ रही महंगाई ने सभी का जीना दूभर कर दिया है। महंगाई की मार से हर कोई जूझ रहा है, जिसमें किसान भी शामिल हैं। डीजल, खाद, कीटनाशक व बीज आदि सब कुछ महंगा हो गया है। ऐसे में खेती किसानी की लागत लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन आय में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। जिससे जनपद के किसानों का हाल बेहाल है।
ऊपर से गन्ना भुगतान समय पर न होने से किसानों के आगे दोहरी चुनौती है। सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी के दावे की हवा निकलती दिखाई दे रही है। पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे किसानों के आगे सिंचाई का संकट है। किसानों की माने तो जो खाद 1250 रुपये में मिलती थी अब उसका रेट 1400 के पार है। बीज और दवाएं भी महंगी हो गई है।
ऐसे में किसानों की फसल की लागत लगभग 25 फीसदी अधिक बढ़ गई है लेकिन आय में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी। पिछले साल सरकारी केंद्रों पर गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये था। इस साल सरकार ने समर्थन मूल्य तो बढ़ाया है, लेकिन मात्र 40 रुपये। जबकि डीजल, खाद और बीज के रेट आसमान छू रहे है, जिसका सीधा असर छोटे किसानों पर पड़ रहा है।
वहीं गेहूं केंद्रों पर देरी से भुगतान होने पर किसान आढ़तों पर औने-पौने दामों पर गेहूं बेचने को मजबूर है, जिससे किसानों को और नुकसान हो रहा है। हालांकि सरकार ने किसानों सहूलियत देने के लिए प्रधानमंत्री सम्मान निधि सहित कई योजनाएं चल रही है, लेकिन किसानों को कोई खास फायदा नहीं हो रहा है।
किसानों ने बताया कि अभी तक नहरों में सिंचाई का पानी मिल जाता था, लेकिन अब नहरों में पानी भी समय पर नहीं आता। ऐसे में दिन पर दिन खेती किसानी करना महंगा होता जा रहा है। वहीं, कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो खेती की लागत बीते एक साल से बढ़ती जा रही है।
खेती के लिए सबसे ज्यादा जरूरी खाद या डीएपी की कीमत बीते एक साल में 650 रुपये से बढ़कर 1300 रुपये हो गई है। इसी तरह जुताई, बीज, निराई, सिंचाई, कटाई पर भी महंगाई छाई है। हालांकि बड़ी संख्या में किसान इस खर्च को कम करने के लिए मजदूरी, जमीन का किराया और अन्य संसाधनों का उपयोग कम करते हैं। मगर महंगाई के लिहाज से अब खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।
एक हेक्टेयर फसल पर होने वाला खर्च
मद पहले अब
जुताई 8500 11500
खाद/डीएपी 3900 8100
बीज 3100 3500
सिंचाई 9600 16000
कीटनाशक 3200 3750
कटाई 5000 12000
निराई 3000 5000
अन्य 1500 2150
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कुल 37800 62000
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(नोट- कृषि भूमि के आधार पर यह लागत अलग-अलग क्षेत्र में अलग अलग हो सकती है।)
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किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए, जिससे लागत कम की जा सकती है। वहीं डीजल का खर्च कम करने के लिए किसानों को सोलर मोटर पंप लगवाना चाहिए।
उप कृषि निदेशक।
बोले परेशान किसान
डीजल, खाद, दवा और बीज आदि सभी के रेट बढ़े हैं। ऐसे में पिछले साल की अपेक्षा इस साल 20 से 25 फीसदी लागत अधिक बढ़ गई है, लेकिन आमदनी में कोई भी इजाफा नहीं हुआ है। ऐसे में अब खेती-किसानी करना काफी मंहगा है।—गौरव सिंह, बझेड़ाभगवानपुर
हम किसान जिस तरह कड़ी मेहनत करते हैं, उस हिसाब से आमदनी नहीं होती है। जैसे-तैसे काम चलाते है। जब से डीजल, बीज और खाद के रेट बढ़े हैं तब से दिक्कतें ज्यादा बढ़ गई है। सरकार को मंहगाई कंट्रोल करनी चाहिए।—गुरुदेव यादव, गोगेपुर
मिल में हमारा गन्ना 350 रुपये क्विंटल बिकता है, लेकिन भुगतान समय पर नहीं मिलता है। ऐसे में काफी दिक्कत होती है। उधार लेकर फसल तैयार करते है, ऐसे में गन्ने का भुगतान न मिलने से काफी परेशानी होती हैं। समय पर गन्ना भुगतान कराया जाए और महंगाई पर रोक लगाई जाए।—वेदप्रकाश लोचन, नगला
किसानों के हित में सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसमें प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना के साथ सब्सिडी पर बीज, कृषि यंत्र आदि कई प्रकार के अनुदानित योजनाएं हैं, जिसका किसानों को लाभ मिल रहा है।—धीरेंद्र सिंह, डीडी कृषि
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