कुपोषण पर वार

कुपोषण पर वार

देश में कुपोषण गंभीर समस्या है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों में कुपोषण के विभिन्न संकेतकों पर भारत का प्रदर्शन असंतोषजनक रहा है। कुपोषण का सबसे गंभीर प्रभाव मानव उत्पादकता पर देखने को मिलता है जो लगभग 10-15 प्रतिशत तक कम हो जाती है और अंततः देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है। इससे …

देश में कुपोषण गंभीर समस्या है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों में कुपोषण के विभिन्न संकेतकों पर भारत का प्रदर्शन असंतोषजनक रहा है। कुपोषण का सबसे गंभीर प्रभाव मानव उत्पादकता पर देखने को मिलता है जो लगभग 10-15 प्रतिशत तक कम हो जाती है और अंततः देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है। इससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है।

अब कुपोषण मिटाने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सभी सरकारी योजनाओं में अतिरिक्त पोषण-युक्त चावल (फोर्टिफाइड राइस) का वितरण करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य योजनाओं के तहत तीन चरणों में लागू किया जाएगा। फोर्टिफाइड चावल आयरन और विटामिन से युक्त होता है।

यह फोर्टिफिकेशन देश के हर गरीब व्यक्ति को कुपोषण से मुक्ति और महिलाओं, बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पोषण प्रदान करेगा। महिलाओं और बच्चों में होने वाले कुपोषण को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को देश के सभी गरीबों को 2024 तक सरकारी स्कीमों के जरिए फोर्टिफाइड चावल देने की योजना की घोषणा की थी।

भारतीय खाद्य निगम और राज्य की एजेंसियों ने आपूर्ति एवं वितरण के लिए पहले ही 88.65 एलएमटी फोर्टिफाइड चावल की खरीद कर ली है। इससे पहले कुपोषण संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए देश में राष्ट्रीय पोषण नीति (1993), मिड-डे मील कार्यक्रम (1995 से) व 2017 से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही 2019 में भारतीय पोषण कृषि कोष की स्थापना की गई।

आंकड़े दर्शाते हैं कि पोषण अभियान के लिए आवंटित कुल राशि का 72 प्रतिशत हिस्सा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर खर्च किया जा रहा है, जिसके कारण अभियान के मूल उद्देश्य पीछे छूट रहे हैं। अब इस योजना के लिए लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे। ध्यान रहे 2019-20 से ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल का फोर्टिफिकेशन और इसका वितरण’ केंद्र प्रायोजित प्रायोगिक योजना को तीन साल की अवधि के लिए ग्यारह राज्यों में लागू किया गया था। योजना कुपोषण के नियंत्रण में काफी हद तक मददगार होगी। कहा जा सकता है कि यह कम अवधि में समस्या को दूर करने के लिए एक प्रभावी और कम लागत वाली बेहतर रणनीति है।

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