शाहजहांपुर: ”परिस्थितियों के अनुरूप ढलने में सक्षम है संविधान”

शाहजहांपुर, अमृत विचार। स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में ”भारतीय संविधान का परिचय एवं विकास” विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता अंशुमान कुमार सिंह मैसी ने कहा कि ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद हम लोगों ने भारतीय संविधान को अपनाया। आजादी के …
शाहजहांपुर, अमृत विचार। स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में ”भारतीय संविधान का परिचय एवं विकास” विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता अंशुमान कुमार सिंह मैसी ने कहा कि ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद हम लोगों ने भारतीय संविधान को अपनाया।
आजादी के पूर्व ब्रिटिश शासन के साथ ही अधिकाश भारतीय क्षेत्र में रजवाड़ों की हुकूमत कायम थी। जब भारत आजाद हुआ, तब हम लोगों ने एक वृहद संविधान का निर्माण किया। अधिवक्ता अंशुमान ने कहा कि समय के साथ जरूरतों के अनुरूप संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से संविधान में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए जा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान जैसे मूल अधिकार, नीति निर्देशक तत्व, परिसंघीय प्रणाली, संसदीय व्यवस्था, स्वतंत्र न्यायपालिका, संविधान संशोधन, न्यायिक पुनर्विलोकन, संघ राज्य संबंध आदि को विभिन्न देशों के संविधान से लिया गया है। विशिष्ट वक्ता डॉ. आदित्य कुमार सिंह ने कहा कि भारत का संविधान नामक ऐतिहासिक दस्तावेज संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित एवं स्वीकार कर और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
संविधान सभा में कुल 389 सदस्य शामिल थे। समय-समय पर इसमें महत्वपूर्ण बदलाव किये जाते रहे हैं, जिससे यह पता चलता है कि हमारा संविधान समय और परिस्थितियों के अनुरूप ढलने में सक्षम है। एक आदर्श संविधान के लिए यह स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है।महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. जय शंकर ओझा ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा संविधान दुनिया के अन्य संविधानों में व्यापक एवं महत्वपूर्ण होने के साथ ही एक आदर्श संविधान भी है, क्योंकि समय के साथ इसको ढाला भी जा सकता है। व्याख्यान में महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं छात्र उपस्थित रहे।
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