दूसरों का स्वास्थ्य सुधारने में बिगड़ रही नर्सों के बच्चों की सेहत, बढ़ रहा आक्रोश, जानिए क्या बोले राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री

लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश भर के चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों में 30 हजार से अधिक नर्सें काम कर रही हैं। इसके अलावा महिला डॉक्टर और कर्मचारी भी हैं। जानकारों की मानें तो यह संख्या 40 हजार के पार जाती है। इनमें से करीब 5 हजार महिलाएं ऐसी हैं जिनके बच्चे छोटे हैं और उन्हें मां की जरूरत है, लेकिन अस्पतालों में पालना घर न होने से मां अपने बच्चों से दूर रहती हैं और समय पर बच्चों को दूध भी नहीं मिल पाता। कई बार चिकित्सा संस्थानों, अस्पतालों और सीएचसी, पीएचसी पर पालना घर स्थापित करने की मांग की गई, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर ध्यान तक नहीं दिया। यह कहना है राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार का।
अशोक कुमार बातचीत के दौरान भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारों को आकर देखना चाहिए कि मरीजों की सेवा करने वाली नर्सें किस तरह से अपने बच्चों को छोड़कर काम करती हैं, मरीजों की सेहत सुधारने के खातिर अपने दुधमुंहे बच्चे को दूध भी नहीं पिला सकतीं। उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश होने के बावजूद अस्पतालों में अभी तक पालना घर नहीं बनाया गया है। यह केवल एक सामान्य बात नहीं है, मां और उसके बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा भी है।
दरअसल, रविवार को राजधानी स्थित बलरामपुर अस्पताल में उत्तर प्रदेश राजकीय नर्सेज संघ की एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें हिस्सा लेने के लिए प्रदेश भर से संघ के पदाधिकारी पहुंचे थे। बैठक की अध्यक्षता राजकीय नर्सेज संघ की अध्यक्ष शार्ली भंडारी ने की। इस दौरान संघ की मांगों के समाधान के लिए रणनीति तय हुई।
राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि नर्सों की कई मांगें हैं। इनमें नर्सिंग संवर्ग की गृह जनपद तैनाती, पदनाम, केंद्र व प्रदेश के उच्च संस्थानों की भांति भत्ते, नर्सिंग काउंसिल में नर्सिंग संवर्ग से रजिस्ट्रार की नियुक्ति, नर्सिंग संवर्ग का पुनर्गठन और नियुक्ति, उच्च पदों पर पदोन्नति, अन्य पदों पर पदोन्नति, एसीपी, नर्सिंग संवर्ग में संविदा व आउटसोर्सिंग को नियमित कर स्थायी नियुक्ति में पूर्व की भांति प्राथमिकता समेत कई मांगें प्रमुख हैं। इसके अलावा चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के पदों को जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज बनाने के उपरांत पद सहित विभाग में समायोजन किया जाए, अन्यथा पूर्व की भांति यथावत कार्य करने दिया जाए जैसा अन्य मेडिकल कॉलेजों में चल रहा है। उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल तक समय दिया जाएगा। उसके बाद भी यदि हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचता है। इस अवसर पर वरिष्ठ पदाधिकारियों अनिल जायसवाल, संतोष वर्मा को सम्मानित किया गया है।
बैठक में जितेंद्र सिंह, राजेन्द्र शुक्ला, राधा रानी, कौशल्या गौतम, राकेश शर्मा, सत्येंद्र कुमार, राम गोपाल सिंह, मीना वर्मा, हृदय नारायण राजपूत, गीतांशु वर्मा, शशिलता वर्मा, महेंद्र श्रीवास्तव, मधू जायसवाल, रोज मैरी, सोनिया मसीह, अमिता रोस, स्मिता मौर्य समेत कई लोग उपस्थित रहे।
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