भारत में 700 वर्ष के बाद ‘कुबेर यज्ञ’ का आयोजन

भारत में 700 वर्ष के बाद ‘कुबेर यज्ञ’ का आयोजन

पालाक्कड। केरल के पालघाट जिले में 17 से 23 अप्रैल के बीच एक मंदिर में 700 वर्षों के बाद वैश्विक आर्थिक शांति बहाल करने और हर व्यक्ति को धन और खुशी प्रदान करने के उद्देश्य से एक ‘महा कुबेर यज्ञ’ का आयोजन किया जाएगा। आयोजकों ने कहा कि यज्ञ में अनुष्ठानों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने …

पालाक्कड। केरल के पालघाट जिले में 17 से 23 अप्रैल के बीच एक मंदिर में 700 वर्षों के बाद वैश्विक आर्थिक शांति बहाल करने और हर व्यक्ति को धन और खुशी प्रदान करने के उद्देश्य से एक ‘महा कुबेर यज्ञ’ का आयोजन किया जाएगा। आयोजकों ने कहा कि यज्ञ में अनुष्ठानों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए गए हैं। प्रसिद्ध वैदिक चेरुमुक्कू वल्लभन अक्कीथिरिपाद महा कुबेर यज्ञ का नेतृत्व करेंगे।

उन्हें ‘सोम यज्ञ’ और ‘अतिरथराम’ दोनों यज्ञों को सम्पन्न कराने में दक्षता हासिल है।चलवारा में कुबेर मंदिर के प्रबंध न्यासी जितिन जयकृष्णन ने कहा कि यज्ञ को पूरे महाद्वीप के लोगों के लिए एक आशा की किरण के रूप देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहला कुबेर यज्ञ कुबेर द्वारा आयोजित किया गया था। किंवदंती के अनुसार श्रीलंका से निष्कासित होने के बाद कुबेर ने सरस्वती नदी के तट पर यज्ञ करने के बाद द्वीप शहर का निर्माण किया।

माना जाता है कि भगवान महादेव ने कुबेर को अलकापुरी नामक एक शहर बनाने का आशीर्वाद दिया और उन्हें यक्षराज के रूप में मुकुट पहनाया और उन्हें सभी धन (कुबेर) का संरक्षक बनाया गया था। इस सात दिवसीय यज्ञ का आयोजन ‘कुबेरपुरी’ नामक 10.5 एकड़ भूमि में किया जाएगा जहां पूरे भारत के सैकड़ों पुजारी एकत्रित होकर यज्ञ करेंगे। कुबेर मंदिर शोरानूर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह केरल का एकमात्र मंदिर जहां धन के देवता (कुबेर) की पूजा की जाती है

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