रामपुर के नवाब की सुंदर एस्टेट पर हुई है सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की स्थापना

हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल जिले के भवाली के समीप मौजूद गोल्ज्यू देव की पावन भूमि घोड़ाखाल में मौजूद सैनिक स्कूल की अपनी खास पहचान है। इस स्कूल की स्थापना 21 मार्च 1966 को रामपुर के नवाब की सुंदर एस्टेट पर हुई थी। घोड़ाखाल का नाम घोड़ाखाल क्यों पड़ा इस पर आपको विस्तार से बताते …
हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल जिले के भवाली के समीप मौजूद गोल्ज्यू देव की पावन भूमि घोड़ाखाल में मौजूद सैनिक स्कूल की अपनी खास पहचान है। इस स्कूल की स्थापना 21 मार्च 1966 को रामपुर के नवाब की सुंदर एस्टेट पर हुई थी।
घोड़ाखाल का नाम घोड़ाखाल क्यों पड़ा इस पर आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल इस नाम का सम्बन्ध 1857 के प्रथम स्वतंत्रा संग्राम की घटना से जुड़ा है। अवध के क्रांतिकारियों से बचने के लिए एक ब्रिटिश जनरल इस क्षेत्र में भटक गया था और पास के छोटे तालाब से पानी पीने के दौरान उसका घोड़ा मर गया, इसलिए इस जगह का नाम घोड़ाखाल पड़ा।
इस स्कूल से बड़ी संख्या में छात्र आईएमए, ओटीए, वायु सेना अकादमी, नौसेना, एएफएमसी, तटरक्षक बल और मर्चेंट नेवी में शामिल हुए हैं। इस विद्यालय का गौरवमयी इतिहास है। इस स्कूल ने कई आईएएस, आईपीएस दिए हैं। एनडीए में सबसे बड़ी संख्या में कैडेट भेजने के लिए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल को रक्षा मंत्री ट्रॉफी से सम्मानित किया गया है।
1870 में ब्रिटिश शासकों द्वारा घोड़ाखाल एस्टेट जनरल व्हीलर को भेंट कर दी गई। 1921 में रामपुर के तत्कालीन नवाब, अलीजाह अमीरुल उमराह नवाब सर सैयद मोहम्मद हामिद अली खान बहादुर ने इस एस्टेट को खरीदा लिया. स्वतंत्र भारत में राजा-रजवाड़ों और नवाबों के प्रिवी पर्स उन्मूलन के बाद, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने मार्च 1964 में रामपुर के नवाब से यह संपत्ति खरीदी और बाद में 21 मार्च 1966 को इस जगह पर देश के बेहतरीन स्कूलों में से एक सैनिक स्कूल, घोड़ाखाल की स्थापना की गयी. सैनिक स्कूल घोड़ाखाल 500 एकड़ में फैला हुआ है।
यह विद्यालय 1961 में तत्कालीन रक्षा मंत्री वी.के. कृष्ण मेनन की एक देन है जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना के लिए काबिल अफसर तैयार करना है। इसके साथ ही सैनिक स्कूलों की इस श्रृंखला का मकसद भारतीय सेना के अधिकारियों के बीच वर्गीय व क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करना भी था। नतीजे के तौर पर आज 30 से ज्यादा सैनिक स्कूल राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय सैन्य स्कूल के साथ मिलकर भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए 30 प्रतिशत सैन्य अधिकारी तैयार करने का काम करते हैं।
इन सैनिक स्कूलों का सञ्चालन सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा किया जाता है। सैनिक स्कूल सोसायटी रक्षा मंत्रालय के अधीन एक संगठन है। सैनिक स्कूल सोसायटी का मुख्य कार्यकारी निकाय रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में कार्यरत एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स होता है। स्कूल के स्थानीय प्रशासन की देखभाल एक स्थानीय प्रशासन बोर्ड द्वारा की जाती है, जिसके अध्यक्ष संबंधित कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ होते हैं जहां सैनिक स्कूल स्थित होता है।
सैनिक स्कूलों का उद्देश्य छात्रों को देश की रक्षा सेवाओं में अधिकारियों के रूप में नेतृत्व करने के लिए तैयार करना है। स्कूल अखिल भारतीय सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होनहार छात्रों का चयन करते हैं।