पीलीभीत: जंगल में नहीं ठहरने देंगे श्रद्धालु, मॉनिटरिंग को लगाई जाएंगी टीम

पीलीभीत, अमृत विचार। पूर्णागिरि धाम की यात्रा शुरू होते ही माधोटांडा-खटीमा मार्ग पर श्रद्धालुओं को आवागमन तेज हो जाता है। कई श्रद्धालु जंगल में ही रात्रि विश्राम करने के साथ ही खाना भी बनाते हैं, लेकिन इन दिनों इस रोड पर बाघ की चहलकदमी अधिक देखने को मिल रही है। जो श्रद्धालुओ के लिए मुसीबत …
पीलीभीत, अमृत विचार। पूर्णागिरि धाम की यात्रा शुरू होते ही माधोटांडा-खटीमा मार्ग पर श्रद्धालुओं को आवागमन तेज हो जाता है। कई श्रद्धालु जंगल में ही रात्रि विश्राम करने के साथ ही खाना भी बनाते हैं, लेकिन इन दिनों इस रोड पर बाघ की चहलकदमी अधिक देखने को मिल रही है। जो श्रद्धालुओ के लिए मुसीबत बन सकती हैं।
इसके लिए वन विभाग की टीम को 24 घंटे के लिए तैनात किया जाएगा। जो निगरानी करेंगे। पीलीभीत टाइगर रिजर्व का मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस से होते हुए खटीमा को जाने वाला मार्ग का करीब का 10 किलोमीटर का हिस्सा जंगल के बीच से गुजरता है। जंगल होने की वजह से बाघ और अन्य वन्यजीव रोड पर अक्सर दिखाई देते हैं।
होली के त्येाहार के बाद उत्तराखंड के टनकपुर में स्थित माता पूर्णागिरि धाम का मेला शुरू हो जाता है। जहां जिले से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से लोग पैदल यात्रा करते हुए झंडी चढ़ाने के लिए जाते है। मेले के समय माधोटांडा खटीमा मार्ग पर भीड़ और वाहनों की संख्या अधिक बढ़ जाती है।
माधोटांडा, पूरनपुर के अलावा लखीमपुर, गोला, पलिया समेत कई जिलों के लोग इस रूट से ही निकलते हैं। ऐसे में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होने की संभावना रहती है। इसलिए पीटीआर के अफसरों ने इस मार्ग के 10 किलोमीटर के दायरे में किसी भी यात्री या श्रद्धालु को ठहरने नहीं दिया जाएगा।
न ही जंगल में आग जलकर खाना बनाने दिया जाएगा। पीटीआर की ओर से 24 घंटे वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि टीम बना दी गई है। यह फैसला सुरक्षा के लिहाज से लिया गया है। वनकर्मियों को भी गश्त के लिए निर्देशित किया जा चुका है।
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