पड़ाेसी प्रथम नीति

पड़ाेसी प्रथम नीति

दुनिया के कई देशों के बीच संबंध और ध्रुव नए तरीके से परिभाषित हो रहे हैं, ऐसे में पड़ोसी देशों को लेकर भारत का रुख काफी मायने रखता है। भारत की विदेश नीति में पड़ोसी देशों से संबंध प्राथमिकता में शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पड़ोस ‘प्रथम नीति’ में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, …

दुनिया के कई देशों के बीच संबंध और ध्रुव नए तरीके से परिभाषित हो रहे हैं, ऐसे में पड़ोसी देशों को लेकर भारत का रुख काफी मायने रखता है। भारत की विदेश नीति में पड़ोसी देशों से संबंध प्राथमिकता में शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पड़ोस ‘प्रथम नीति’ में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, म्यामांर, पाकिस्तान, श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

इन देशों में पाकिस्तान के अपवाद को छोड़कर अन्य के साथ भारत निकटता से काम कर रहा है। बुधवार को विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध की इच्छा रखता है लेकिन यह देश की सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकता है। चीन के साथ संबंधों को लेकर विदेश सचिव ने चीन को स्पष्ट कर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता हमारे संबंधों के विकास के लिए जरूरी है।

चीन अपना प्रभाव हिंद महासागर के व्यापारिक मार्गों पर स्थापित करना चाहता है। ऐसे में चीन, भारत के पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता प्रदान कर वहां अपना प्रभाव स्थापित करने की मंशा से भारत को घेरने की रणनीति पर कार्य कर रहा है। ऐसे में दक्षिण एशिया में चीन को संतुलित करने के क्रम में पड़ोसी देशों की भूमिका अत्यंत बढ़ जाती है।

आजादी के बाद से ही भारत ने स्वतंत्र विदेश नीति को अपनाया तथा पड़ोसी देशों एवं विश्व के अन्य देशों के साथ वैश्विक शांति को आगे रखते हुए सौहार्द्रपूर्ण एवं मित्रात्मक संबंधों को प्राथमिकता दी। इसके तहत पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देते हुए उनके आर्थिक विकास तथा संवृद्धि में भागीदार बनने की प्रतिबद्धता को बल प्रदान किया।

भारत के अधिकांश पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध हैं परंतु, कई बार यह वैश्विक परिस्थितियों तथा क्षेत्रीय घटनाओं से प्रभावित होते रहते हैं। नेपाल के साथ भारत के अच्छे सामजिक-सांस्कृतिक संबंध हैं, परंतु नेपाल की आंतरिक स्थिति तथा यहां चीन की मौजूदगी इसे नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

बांग्लादेश एवं म्यांमार के साथ संबंध आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन चीन की मौजूदगी यहां भी संबंधों को प्रभावित कर रही है। भारत के विस्तृत भूभाग तथा अर्थव्यवस्था को लेकर पड़ोसी देशों में मनोवैज्ञानिक भय उत्पन्न होता है जिसे वह चीन के माध्यम से संतुलित करने का प्रयास करते दिखाई देते हैं।

भारत को इसका समाधान वैचारिक एवं मनोवैज्ञानिक आधार पर ही खोजना चाहिए। भारत को पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए संस्कृति, व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना होगा।

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