Women’s Day Special : संभल की बेटी नगमा ने रचा है इतिहास, मुंशिफ मजिस्ट्रेट के पद पर बैठकर कर रहीं न्याय

संभल/अमृत विचार। सामान्य परिवार में जन्मी लड़की ने साबित करके दिखाया की मन में संकल्प हो तो मंजिल हासिल की जा सकती है। यानी कि नारी को अबला कहने का कोई मतलब नहीं होता। हौसलों से हम आसमान फतह कर सकते हैं। मंजिल को पाने वाले उसे हासिल कर ही लेते हैं। इस माटी की …
संभल/अमृत विचार। सामान्य परिवार में जन्मी लड़की ने साबित करके दिखाया की मन में संकल्प हो तो मंजिल हासिल की जा सकती है। यानी कि नारी को अबला कहने का कोई मतलब नहीं होता। हौसलों से हम आसमान फतह कर सकते हैं। मंजिल को पाने वाले उसे हासिल कर ही लेते हैं। इस माटी की ऐसी ही बेटी बदायूं में मुंशिफ मजिस्ट्रेट जैसे सम्मानित पद पर बैठकर न्याय कर रही हैं।
चार अगस्त 1993 को जन्मी नगमा की बड़ी बहन अमरीन फात्मा उनसे लगभग दो साल बड़ी हैं। इनके पिता मोबीन खान इंजन-बोरिंग का काम करते थे। पिता का शुरू से ही बेटियों को अधिकारी बनाने का सपना था। पिता के सपनों को नगमा ने मानो जैसे पंख लगा दिये हों। नगमा ने कक्षा नौ में 96, कक्षा 10वीं में 95.54 फीसदी अंक प्राप्त किए। इसके बाद वह पढ़ाई करने दिल्ली चली गईं, 2011 में 12वीं कक्षा में 91.02 फीसदी अंक पाए। तब समाज के लोगों ने नगमा के पिता से आगे पढ़ाने पर काफी कुछ कहा। पर, पिता ने किसी की एक न सुनी, जिससे नगमा का हौसला बढ़ता चला गया।
नगमा ने दिल्ली में रहकर सन 2011-2016 तक बीए, एलएलबी की परीक्षा दी और 2016 में ही यूपी पीसीएसजे की परीक्षा में उत्तर प्रदेश में 29 वां स्थान हासिल कर लिया। नगमा का कहना है कि खुद की मेहनत और परिवार के विश्वास से सब कुछ हासिल हो सकता है।
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