बरेली: उद्यान विभाग निशुल्क बांटेगा तुलसी और सतावर के बीज

बरेली,अमृत विचार। जिले में राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत उद्यान विभाग की ओर से किसानों को निशुल्क औषधीय पौधों के बीज उपलब्ध कराएं जाएंगे। इसके लिए उद्यान विभाग में पंजीकरण शुरु हो गए हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत दलहन-तिलहन की तरह औषधीय खेती को बढ़ावा देने प्रयास किया जा रहा …
बरेली,अमृत विचार। जिले में राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत उद्यान विभाग की ओर से किसानों को निशुल्क औषधीय पौधों के बीज उपलब्ध कराएं जाएंगे। इसके लिए उद्यान विभाग में पंजीकरण शुरु हो गए हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत दलहन-तिलहन की तरह औषधीय खेती को बढ़ावा देने प्रयास किया जा रहा है।
इसके लिए किसानों को आकर्षित करने के लिए तुलसी-सतावर की खेती के लिए विभाग की ओर से निशुल्क बीज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए उकिसानों से आवदेन मांगे गए हैं। अब तक 20 से अधिक किसान पंजीकरण करा चुके हैं। जिले में तुलसी के लिए 20 और सतावर के लिए 15 हेक्टेयर का लक्ष्य शासन से मिला है।
बीज के साथ ही इसकी खेती में आने वाली लागत का 30 फीसदी अनुदान भी शासन की ओर से किसानों को दिया जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार एक हेक्टेयर में सतावर की खेती करने पर 80 से 90 हजार रुपये लागत आती है। इसी तरह तुलसी की खेती में प्रति हेक्टेयर 40 से 45 हजार की लागत आती है। दोनों की खेती के लिए 30 प्रतिशत का अनुदान विभाग देता है।
उद्यान विभाग किसानों को कम लागत में अधिक आय के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी और सतावर की खेती को बढ़ावा देगा। इसके लिए पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर किसानों का चयन होगा। पंजीकरण के लिए खतौनी, बैंक पासबुक लाना जरूरी है। अनुदान की राशि सीधे किसान के खाते में भेजी जाएगी। जिला उद्यान अधिकारी पुनीत पाठक ने बताया कि अब तब 20 से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया है।
शक्ति बढ़ाने और दर्द निवारण के काम आते हैं सतावर व तुलसी
जिला उद्यान अधिकारी पुनीत पाठक के अनुसार सतावर को कई नामों से जाना जाता है। इस औषधि का उपयोग शक्ति व दूध बढ़ाने, दर्द निवारण और पथरी संबंधित रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इसकी बुआई के लिए प्रति एकड़ पांच किलो बीज की आवश्यकता होती है। बाजार में सतावर के बीज का मूल्य एक हजार रुपये प्रति किलो तक रहता है।
सतावर को बहुत ही काम सिंचाई की जरूरत होती है। पौधे के पत्ते पीले पड़ने पर इसकी खुदाई करके रसदार जड़ों को निकाल लेते हैं। क हेक्टेयर में 8 से 12 क्विंटल का उत्पादन होता है। तुलसी का पौधा जितना पूजनीय है, उससे कहीं ज्यादा उसमें औषधिय गुण मौजूद हैं। किसानों का भी तुलसी की व्यावसायिक खेती के लिए रूख बढ़ा है।
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