बाराबंकी: बिजली के प्रश्न पर देवा और महादेवा की तुलना कर योगी ने कराया था ध्रुवीकरण

बाराबंकी: बिजली के प्रश्न पर देवा और महादेवा की तुलना कर योगी ने कराया था ध्रुवीकरण

बाराबंकी। जिन लोगों को 2017 का विधानसभा चुनाव याद होगा उन्हें यह भी याद होगा कि जब यहां योगी आदित्यनाथ सभा करने आए थे तो उन्होंने बिजली के प्रश्न पर सवाल किया था कि जब देवा में 24 घंटे बिजली तो महादेवा में क्यों नहीं? सवाल लाजमी था। देवा शरीफ में 24 घंटे बिजली देने …

बाराबंकी। जिन लोगों को 2017 का विधानसभा चुनाव याद होगा उन्हें यह भी याद होगा कि जब यहां योगी आदित्यनाथ सभा करने आए थे तो उन्होंने बिजली के प्रश्न पर सवाल किया था कि जब देवा में 24 घंटे बिजली तो महादेवा में क्यों नहीं? सवाल लाजमी था। देवा शरीफ में 24 घंटे बिजली देने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद की थी। योगी के सवाल का असर यह हुआ कि मतदाताओं का ध्रुवीकरण हुआ तथा महादेवा में अतिथि गृह, ऑडिटोरियम, पक्की सड़कों का निर्माण कराने के बावजूद समाजवादी पार्टी के अरविंद सिंह गोप यहां से चुनाव हार गए थे।

दरअसल महादेवा जहां लोधेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है तथा देवा शरीफ यानी कि जहां हाजी वारिस अली की मजार है जिले के दो बड़े तीर्थ स्थल है। दोनों ही स्थानों पर बड़े बड़े मेले लगते हैं। दोनों तीर्थ स्थल बाराबंकी जिले के प्रमुख पहचान हैं। 2017 के पहले इन दोनों तीर्थ स्थलों का पर्यटन विकास ही चुनावी मुद्दा हुआ करता था। समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान इन दोनों तीर्थ स्थलों के विकास के लिए कार्य हुए।

महादेवा में अतिथि गृह, ऑडिटोरियम और चौड़ी सड़क के निर्माण का श्रेय भी तत्कालीन यहां के विधायक रहे अखिलेश सरकार के मंत्री अरविंद सिंह गोप को ही जाता है। उनके ही प्रयास का फल रहा कि महादेवा का मेला परवान चढ़ा और यहां दिग्गज कलाकारों की उपस्थिति दर्ज की गई।

अब महादेवा इसलिए भी प्रासंगिक हो गया है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सभाओं में यह कहना नहीं भूलते की पूरे देश में निर्विघ्न कांवड़ यात्रा चल रही है। जबकि बाराबंकी की पुलिस की माने तो मंदिर के रिसीवर हरि प्रकाश द्विवेदी ने कांवरियों से महादेवा न आने की अपील की है। ऐसी दशा में समझा जा सकता है कि मंदिर प्रशासन पर कांवरियों को रोकने का कितना दबाव है। वह भी उस स्थिति में जब कांवरियों की आमद शुरू होने के बावजूद यहां साफ सफाई का काम भी शुरू नहीं हो सका। जिला प्रशासन को भी इस मेले की सुधि तब आई जब अव्यवस्था की खबरें सुर्खियां बनने लगी। रिसीवर की अपील के बाद एक बार फिर महादेवा की कावड़ यात्रा चुनावी मुद्दा बनने लगी है।

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