यादें : शन्नू खां के दरबार में बिछती थी सियासत की बिसात

सुहेल जैदी/अमृत विचार। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सियासी बिसात पर तमाम धुरंधरों के बीच शह-मात का खेल हो रहा है। लेकिन, स्थानीय राजनीति के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले पूर्व विधायक मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां की कमी का शिद्दत से अहसास हो रहा है। क्योंकि, उनके दरबार में सियासत की बिसात बिछती …
सुहेल जैदी/अमृत विचार। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सियासी बिसात पर तमाम धुरंधरों के बीच शह-मात का खेल हो रहा है। लेकिन, स्थानीय राजनीति के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले पूर्व विधायक मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां की कमी का शिद्दत से अहसास हो रहा है। क्योंकि, उनके दरबार में सियासत की बिसात बिछती थी और हार-जीत के लिए पूरी ईमानदारी से मोहरे खिसकाए जाते थे। इस चुनावी दंगल में जोर आजमाइश कर रहे कुछ राजनीतिज्ञों को उनकी कमी बहुत खल रही है।
रामपुर की सियासत में शन्नू खां जानामाना नाम रहा है। पूर्व विधायक मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां का आठ मार्च 2018 को इंतकाल हो गया था। लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उन्होंने 77 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली थी। वह जमींदार घराने से थे। कांग्रेस के टिकट पर शहर से दो बार विधायक रहे। उनके भतीजे सलावत अली खां गुड्डू ने बताया कि पहली बार वह वर्ष 1974 में विधायक बने और 1977 तक रहे। दोबारा 1977 में मौजूदा सपा सांसद मोहम्मद आजम खां को हराया और 1980 तक विधायक रहे। वर्ष 1989 में नगर पालिका के चेयरमैन भी बने। उसके बाद सक्रिय सियासत से किनारा कर लिया। लेकिन, सियासत में उनका दबदबा कायम रहा। उन्हें जिले की सियासत का केंद्र बिंदु भी कहा गया।
ऐसे नेता जो दो बार विधायक बनने के बाद चेयरमैन बने
यूं तो एक बार भी कोई विधायक बन जाता है तो छोटा चुनाव लड़ने के बारे में कभी सोचता भी नहीं है। लेकिन, शन्नू खां ऐसे नेता थे, जिन्होंने दो बार शहर से विधायक रहने के बाद भी चेयरमैन का चुनाव लड़ा और जीते भी। कुछ वजह रहीं, जिनकी वजह से उन्होंने जीवन भर शादी नहीं की।
अमर सिंह और जयाप्रदा भी लेते थे सलाह
अभिनेत्री जयाप्रदा दो बार रामपुर से सांसद रहीं। इस दौरान अमर सिंह भी रामपुर आते रहे। जब भी चुनाव हुआ या अन्य कोई मौका हुआ तो वे अक्सर शन्नू खां के घर सलाह के लिए जाते रहे। जो भी शन्नू खां के घर पहुंचता था, उसको निराशा नहीं मिलती थी। पूर्व सांसद बेगम नूरबानो का चुनाव भी पूरी शिद्दत से शन्नू खां ने लड़ाया था।
आज भी सजती है शन्नू खां की बैठक
शहर के बाजार नसरुल्लाह खां स्थित उनके आवास पर आज भी बैठक सजती है। डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, शहर के जाने-माने सियासतदां हर विषय पर वहां चर्चा करते हैं। उनके भतीजे गुड्डू खां बताते हैं कि खां साहब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन, आज भी लोग बैठक में आते हैं। आने वालों का वैसे ही स्वागत होता है, जैसा उनके सामने किया जाता था। छोटा-बड़ा जो भी पहुंचता, उसे वह बहुत इज्जत देते थे। पास में खड़े कर्मचारी को फौरन चाय-पानी लाने का ऑर्डर करते। पान खाने वालों को अपने हाथ से पान लगाकर खिलाते थे। उनका पानदान सुबह से देर रात तक चलता रहता था।
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