बरेली: तीन साल बाद मिला अपनों का साथ तो छलक पड़े खुशी के आंसू

बरेली,अमृत विचार। तीन साल बाद शिव कुमार जब घर वापस लौटे तो परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा। उनके आंसू छलक आए। शिव कुमार तीन साल पहले लापता हो गए थे। मानसिक स्थिति खराब होने के चलते शहर में होने पर भी वह अपनों की जानकारी नहीं दे सके थे। मनोसमर्पण संस्था की ओर …
बरेली,अमृत विचार। तीन साल बाद शिव कुमार जब घर वापस लौटे तो परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा। उनके आंसू छलक आए। शिव कुमार तीन साल पहले लापता हो गए थे। मानसिक स्थिति खराब होने के चलते शहर में होने पर भी वह अपनों की जानकारी नहीं दे सके थे। मनोसमर्पण संस्था की ओर से काउंसिलिंग के बाद उन्होंने अपना पता बताया तो उन्हें नियमों का पालन करते हुए संस्था ने परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
54 वर्षीय शिव कुमार रजपुरी नवादा भुता के रहने वाले हैं। 13 अगस्त 2019 को वह जंक्शन पर लावारिस हालत में मानसिक विक्षिप्त अवस्था में पड़े थे। मनोसमर्पण मनोसामाजिक सेवा समिति की टीम ने उनको रेस्क्यू कर अपना घर आश्रम में भर्ती कराया। यहां उनकी देखरेख की गई। श्रद्धा रिहेबिलिटेशन फाउंडेशन के ट्रस्टी और रैमन मैग्सेसे अवार्डी डॉ. भरत वाटवानी की देखरेख में शिवकुमार का इलाज हुआ।
सामाजिक कार्यकर्ता नितिन व मुकुल ने काउंसिलिंग की। जब शिव कुमार ठीक हुए तो उन्होंने अपना नाम व पता बताया। इसके बाद श्रद्धा फाउंडेशन संस्था के मनोवैज्ञानिक शैलेश कुमार शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता नितिन कुमार और मुकुट कुमार उन्हें घर लेकर पहुंचे तो परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़े। सभी ने टीम को धन्यवाद किया। संस्था की ओर से उन्हें मानसिक उपचार के लिए दो माह की निःशुल्क दवाई दी गई।
मुंबई की श्रद्धा पुनर्वास केंद्र संस्था सड़कों पर भटकने वाले लावारिस व्यक्तियों के लिए काम करती है। शिवकुमार के भाई करन सिंह ने बताया कि करीब तीन साल पहले मानसिक स्थिति ठीक न होने की वजह से भाई घर से निकल गए, लेकिन कोई पता नहीं चला।
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