बरेली: इंटर कॉलेज दो सरकारों में बना, तीसरी में पड़े ताले, अब खस्ताहाल

बरेली, अमृत विचार। नवाबगंज तहसील के ग्राम बरौर में वर्षों से राजकीय इंटर कॉलेज बंद पड़ा है। गुरुवार को पैनी नजर सामाजिक संस्था की प्रदेश अध्यक्ष व आप प्रत्याशी सुनीता गंगवार ने बंद स्कूल को जाकर देखा। भवन बदहाली पर आंसू बहा रहा है। संस्था अध्यक्ष को ग्राम बरौर के लोगों ने बताया कि सन …
बरेली, अमृत विचार। नवाबगंज तहसील के ग्राम बरौर में वर्षों से राजकीय इंटर कॉलेज बंद पड़ा है। गुरुवार को पैनी नजर सामाजिक संस्था की प्रदेश अध्यक्ष व आप प्रत्याशी सुनीता गंगवार ने बंद स्कूल को जाकर देखा। भवन बदहाली पर आंसू बहा रहा है। संस्था अध्यक्ष को ग्राम बरौर के लोगों ने बताया कि सन 2007 में बसपा सरकार के समय में इस विद्यालय की नींव रखी गई थी। उसके बाद सपा सरकार में इस विद्यालय का निर्माण पूर्ण हुआ था।
सन 2012 में यह विद्यालय बनकर तैयार हो गया लेकिन न तो सपा सरकार ने इस विद्यालय को खोला और न ही भाजपा सरकार के 5 साल के दौरान इस विद्यालय का ताला खुला। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह लगभग 7 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया, मगर विद्यालय खोलने के लिए लोगों ने क्षेत्र के सभी नेताओं से कहा लेकिन निराशा मिली। संस्था अध्यक्ष ने ग्रामीणों से पूरी जानकारी ली। सुनीता गंगवार ने कहा कि यह नवाबगंज क्षेत्र की स्थिति है कि यहां के नेताओं ने शिक्षा के ऊपर ना तो कोई कार्य किया और अगर धोखे से कोई कॉलेज बन भी गया तो उसको खोलने नहीं दिया। वह नहीं चाहते कि नवाबगंज क्षेत्र की जनता शिक्षित हो पाए।
आखिर करोड़ों की लागत से बनी बिल्डिंग जो कि जनता का पैसा है, इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है। स्कूल धूल मिट्टी मकड़ी के जालों से भरा है। संस्था अध्यक्ष ने पूरी बिल्डिंग का मुआयना कर क्लासरूम, कॉलेज का प्रांगण समेत सभी चीजों को देखा। अफसोस जताया कि इस तरह से घोटाले क्षेत्र में चल रहे हैं।
वहां की स्थानीय जनता स्कूल जाने के लिए 5-6 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए अपने बच्चों को भेजती हैं। जबकि उनके अपने गांव में कॉलेज बना हुआ है ग्राम बड़ौर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर लगभग 11 गांव आते हैं। 11 गांव के लोग यहां पर पढ़ने के लिए आ सकते हैं लेकिन क्षेत्र की गंदी राजनीति और जन विरोधी सरकारों की यह देन है कि जनता का ही पैसा जनता के काम नहीं आ सकता। लोग सरकारी विद्यालय होने के बावजूद भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने पर मजबूर हैं, जो सक्षम नहीं हैं, उनके बच्चे स्कूल भी नहीं जा सकते।
संस्था अध्यक्ष ने कहा कि क्षेत्र के नेताओं की यही रणनीति रही है कि क्षेत्र नवाबगंज में शिक्षा ना बढ़ सके अशिक्षित रहें, तभी यह जनता नेताओं के कब्जे में रहेगी। लोगों ने ये भी बताया कि विभिन्न ग्रामों में और भी स्कूल इसी तरह बंद पड़े हैं। यह ग्राम बरौर का स्कूल तीन सरकारों को देख चुका है, किसी भी सरकार ने इसका ताला नहीं खोला।
शायद यह स्कूल किसी ऐसी सरकार का या ऐसे जनप्रतिनिधि का इंतजार कर रहा है, जो शिक्षा के लिए काम करने वाली सरकार हो। आप प्रत्याशी सुनीता गंगवार ने क्षेत्र की जनता से वादा किया कि यदि क्षेत्र की जनता ने जनमत दिया तो नवाबगंज क्षेत्र के सारे राजकीय विद्यालय ताले से मुक्त कराए जाएंगे।