बरेली: लीलौर झील में पानी कम, प्रवासी पक्षियों के दर्शन दुर्लभ

बरेली, अमृत विचार। शारदीय नवरात्र के समाप्त होते ही वन विभाग द्वारा चिन्हित किए गए वेटलैंड पर बीते सालों में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लग जाता था। यह प्रवासी पक्षी फरवरी तक यहां रहते हैं लेकिन इस साल दिसंबर का महीना खत्म होने को है लेकिन वेटलैंड विदेशी मेहमानों की राह तक रहे हैं। वन …
बरेली, अमृत विचार। शारदीय नवरात्र के समाप्त होते ही वन विभाग द्वारा चिन्हित किए गए वेटलैंड पर बीते सालों में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लग जाता था। यह प्रवासी पक्षी फरवरी तक यहां रहते हैं लेकिन इस साल दिसंबर का महीना खत्म होने को है लेकिन वेटलैंड विदेशी मेहमानों की राह तक रहे हैं। वन विभाग की टीमें भी वेटलैंड पर जाकर निगरानी कर रही हैं लेकिन उन्हें भी जिले में अभी तक कहीं प्रवासी पक्षी नजर नहीं आए हैं। जिसकी बड़ी वजह वातावरण में आई तब्दीली और आसपास के जनपदों में बारिश होने के कारण प्रवासी पक्षियों का वहीं रुक जाना माना जा रहा है।
वन विभाग रिकार्ड के मुताबिक बरेली में रामगंगा के आसपास 15 से 20 जगह पोखर हैं जहां प्रवासी पक्षियों को देखा जाता है। इसके अलावा अखा और भोजीपुरा गांव में तालाब है। जहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। बिलपुर के पास स्थित पोखर व मीरगंज में रामगंगा नदी किनारे भी रंग-बिरंगे प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं। सिरौली की लीलौर झील के आसपास बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी नवंबर से ही आ जाते हैं, जो फरवरी तक यहां रहते थे।
इसके अलावा फरीदपुर रेंज के वेटलैंड में कई जगह प्रवासी पक्षियों को देखा जाता है। आंवला रेंज में निगरानी कर रही वन विभाग की टीम के मुताबिक लीलौर झील के आसपास उन्हें अब तक कोई प्रवासी पक्षी नजर नहीं आया। महज कुछ सारस टहलते दिखाई दिए। वहीं फरीदपुर रेंज के अमरती गांव में भी यही स्थिति थी।
बीते दिनों की बात करें तो लीलौर झील इन दिनों प्रवासी पक्षियों से गुलजार रहती थी। माना जा रहा है कि झील में पानी कम होने के कारण भी प्रवासी पक्षियों ने इस बार आने में देरी कर दी। झील के आसपास हुई इंटरलॉकिंग से बरसात का पानी झील के अंदर नहीं आना झील के खाली रहने की बड़ी वजह है। उधर वन विभाग के अधिकारियों की माने तो पीलीभीत, बिजनौर आदि जिलों में प्रवासियों की दस्तक हो चुकी है। हो सकता है जनवरी तक बरेली जिले में प्रवासी पक्षियों का आगमन हो जाए।
100 से अधिक प्रजातियां देती हैं दस्तक
हिमालय, तिब्बत, श्रीनगर, यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, मलेशिया, साइबेरिया, चीन, लद्दाख, तिब्बत आदि जगह से खूबसूरत रंग- बिरंगे पक्षी आते हैं। चार-पांच महीने को यहां 100 से अधिक प्रजातियां आती हैं, जिसमें ब्लैक आइज, येलो लांग टेल, स्पाट विल्ड डक, ब्लैक डक, रेड क्रस्टेड पोचर्ड, ग्रे लेग गूस, ब्राउन काक, बार हेडेड गूस, टस्टेड डक, कामन टेल, पिन टेल, ब्राम्हमनी डक, कूट, पिकाक हेन, रेड लेग आदि 100 से अधिक प्रजाति के पक्षी जिले में आते हैं।
बरेली जिले में फिलहाल कहीं भी प्रवासी पक्षी दिखाई नहीं दिए। टीमें वेटलैंड पर जाकर निगरानी कर रही हैं। हो सकता है कि जनवरी तक प्रवासी पक्षियों का आगमन हो। फिलहाल पीलीभीत और बिजनौर में प्रवासी पक्षी देखे गए हैं। -ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक