बरेली: शायरी, गीत-गजल और कविता करेगी आपके हर जज्बात का इजहार

बरेली: शायरी, गीत-गजल और कविता करेगी आपके हर जज्बात का इजहार

बरेली, अमृत विचार। अमृत विचार के शानदार दो साल पूरे होने पर 27 नवंबर को बरेली कालेज के हाकी मैदान में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में शनिवार को देश के जाने माने शायर व कवि अपनी कविता-गजल, गीत के साथ शेर और शायरी के माध्यम से आपके जज्बात का इजहार करेंगे। वहीं देश …

बरेली, अमृत विचार। अमृत विचार के शानदार दो साल पूरे होने पर 27 नवंबर को बरेली कालेज के हाकी मैदान में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में शनिवार को देश के जाने माने शायर व कवि अपनी कविता-गजल, गीत के साथ शेर और शायरी के माध्यम से आपके जज्बात का इजहार करेंगे। वहीं देश दुनिया की राजनीति पर व्यंग्य के साथ ही दिल को छूने वाली शायरी व कविताओं से गुदुगदाएंगे।

कार्यक्रम में प्रख्यात शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी खास मेहमान होंगे, उन्हें सम्मानित किया जाएगा। वहीं देश के जाने माने कवि-शायर और गीतकार अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत करेंगे। रामपुर से प्रसिद्ध शायर ताहिर फ़राज़ आज के ज़माने के मशहूर शायरों में से एक हैं। वह अक्सर तरन्नुम में नज़्में सुनाते हैं और उनकी ग़ज़लें सादा शब्दों का एक ख़ूबसूरत सा आसमान लगती हैं। ताहिर साहब अपनी कुछ खास नज्मों के साथ तशरीफ ला रहे हैं। उनमें कुछ इस तरह हैं- जब भी वो पाकीज़ा दामन आ जाएगा, हाथ मिरे आंखों का ये मेला पानी गंगा-जल हो जाएगा।

वहीं मुंबई से आ रहे शायर और गीतकार राना सहरी दिल को छू लेने वाली शायरी और गीतों के साथ पहुंच रहे हैं। जैसे- कभी गुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह, लोग मिलते हैं बदलते हुए मौसम की तरह…। उनका यह गीत युवाओं में बेहद लोकप्रिय है। कार्यक्रम में कविता के सशक्त हस्ताक्षर गीत और छंदकार डा. प्रवीण शुक्ल के सुर और लय से गाए गीतों को भी श्रोता सुनेंगे।

साथ ही मुंबई से प्रख्यात गीत-गजलकार हसन कमाल, मंसूर उस्मानी (मुरादाबाद), हसीब सोज (अलापुर), अकील नोमानी (मीरगंज), शबीना अदीब (कानपुर) आ रहे हैं। वरिष्ठ कवि डा. माहेश्वर तिवारी (मुरादाबाद), डा. कीर्ति काले, डा. विष्णु सक्सेना (दिल्ली) डा. अरुण जैमिनि (गुड़गांव), डा कल्पना शुक्ला (कानपुर), अनामिका अंबर जैन (मेरठ) से अपनी रचनाओं के साथ आ रही हैं।

शायरी-कविता के माध्यम से बनता है भाईचारा : राना सहरी
मुंबई के जाने माने शायर और गीतकार राना सहरी का कहना है कि शायरी और कविता के मिले जुले कार्यक्रमों का आयोजन बड़े स्तर पर होना चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों से भाईचारा बनता है। किसी कारण से कोई गलत फहमियां आई हैं तो वे दूर होती हैं। उर्दू और हिंदी जबान का एक साथ मंच पर होना समाज को जोड़ता है।

अमृत विचार ने ऐसा ही कार्यक्रम 27 नवंबर को रखकर भाईचारे का पैगाम दिया है। वहीं इस कार्यक्रम में दुनिया में शायरी और गजल के बेताज बादशाह कहे जाने वाले प्रोफेसर वसीम बरेलवी का सम्मान भी बहुत अहमियत रखता है। जब हम 15 साल के तब से वसीम साहब की शायरी सुनते चले आ रहे हैं। उनकी गजल और शायरी अपने आप में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है।

कविता-शायरी के आयोजन सौहार्द का संगम : डा. प्रवीण शुक्ल
जाने माने कवि और मंच संचालक डा. प्रवीण शुक्ल का कहना है कि शायरी-कविता के कार्यक्रम सांस्कृतिक विरासत होते हैं। यह गंगा जमुनी तहजीब है। मौजूदा हालात में ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है। इन कार्यक्रमों से भाषा के साथ ही समाज जुड़ता है, देश मजबूत होता है। हमारी सनातनी परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। अमृत विचार की ओर से 27 नवंबर को आयोजित हो रहा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा एक ऐसी ही मिसाल बनेगा।

इसी आयोजन में एक ऐसी शख्सियत उर्दू अदब, हिंदी साहित्य और व्यक्तित्व और कृतित्व से महान प्रोफेसर वसीम बरेलवी का सम्मान किया जाना भी कार्यक्रम की शान को बढ़ाता है। वे देश के उन बड़े रचनाकारों में से हैं जिनका सम्मान साहित्य का सम्मान है, देश का सम्मान है। मै पिछले तीस सालों से उनके बारे में देख चुका हूं और सुन चुका हूं, उन्होंने हमेशा देश के लिए बहुत कुछ दिया है।

ब्रह्मा-विष्णु-महेश की तरह हैं कला-संगीत-कविता : ताहिर फ़राज़
प्रसिद्ध शायर, गजलकार और बेहतरीन नज़्मों की प्रस्तुति देने वाले ताहिर फ़राज़ का कहना है कि हिंदी हो या उर्दू दोनों भाषाएं हमारे देश की हैं। उर्दू यहीं जन्मी है और परवान चढ़ी है। बिना किसी भेदभाव के हिंदू, मुस्लिम और सिख, ईसाई समुदाय के लोग और विभिन्न प्रांतों के लोगों ने उर्दू शायरी की हैं। जहां उर्दू के बड़े शायरों में रघुपति सहाय, फिराक गोरखपुरी और सरदार जोगा सिंह अनवर जमशेदपुरी इसके चाहने वालों और खिदमत करने वालों में शामिल हैं।

वहीं कुंवर महेंदर सिंह बेदी सहर जो श्री गुरुनानकदेव जी की 16वीं पुश्त से ताल्लुक रखते थे। हिंदुस्तान-पाकिस्तान की दरम्यान सीमाओं को अपनी जुबान एवं अपने अदब से लांघते हुए इधर-उधर के शायरों लेखकों बुद्धिजीवियों के दरम्यान पुल का काम करते रहे। उन्होंने बताया कि रामपुर स्कूल जोकि उर्दू अदब का तीसरा स्कूल कहलाता है। दिल्ली लखनऊ और हैदराबाद को भी शामिल किया जाए तो भी पूरे देश में उर्दू बोलने वालों और चाहने वालों की बड़ी तादात है। हमें बिना किसी भेदभाव दोनों भाषाओं से प्यार है। अगर हजरत अमीर खुसरो के नाम को भुला दिया जाएगा तो हमारा हिंदी उर्दू और संगीत का बहुत बड़ा मैदान खाली हो जाएगा। संगीत शायरी और आर्ट यह तीनों ही चीजें फाइन आर्ट से ताल्लुक रखती हैं।

मुझे ऐसा लगता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की तरह तीन चेहरे तो हैं परंतु शरीर एक है, और तीनों मुख से कला संगीत और कविता बह रही है। यह अनंत काल तक बहती रहेगी। अगर इन तीनों को अपने जीवन से निकाल दें तो हमारी हालत किसी मशीनी कंप्यूटर की तरह हो जाएगी। क्योंकि संवेदना हमारे जीवन का मनुष्य कहलाने के लिए अभिन्न अंग है। उनका कहना है कि सामाजिक संस्थाएं, सियासी पार्टी हों या साहित्यक विभाग हों, हमारे इस प्राचीन इस भारतीय शास्त्रीय संगीत कला कविता को जिंदा रखने के लिए प्रयास करते रहना जरूरी है। जिस तरह से अमृत विचार ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए 27 नवंबर को राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया वह वास्तव में बड़ा काम है।

बता दें कि उर्दू शायरी, गजल और नज्म के क्षेत्र में ताहिर फ़राज़ बड़ा नाम हैं। देश विदेशों में साहित्यक यात्राएं कर चुके शायर ताहिर फराज रामपुर के रहने वाले हैं। तीन किताबें ‘काश’ ‘कश्कोल’ और आहट आंसुओं की बाजार में हैं। उनकी कई गीत और गजलें ऐसी हैं जिन्हें प्रख्यात गजलकार पंकज उधास और हरिहरन ने भी रिकार्ड की हैं।

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