त्रिपुरा सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर 23 नवंबर को होगी सुनवाई

त्रिपुरा सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर 23 नवंबर को होगी सुनवाई

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पार्टी की उस याचिका पर 23 नवंबर को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमति जताई, जिसमें आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी दलों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को रोकने में विफल रहने के लिए त्रिपुरा सरकार और अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध किया …

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पार्टी की उस याचिका पर 23 नवंबर को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमति जताई, जिसमें आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी दलों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को रोकने में विफल रहने के लिए त्रिपुरा सरकार और अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की जायेगी। इससे पहले, टीएमसी की तरफ से पेश अधिवक्ता अमर दवे ने कहा कि न्यायालय के 11 नवंबर के आदेश के बावजूद राज्य में स्थिति बिगड़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि कल एक घटना हुई थी। राज्य में स्थिति बहुत अस्थिर है और यह बद से बदतर होती चली गई है। स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं और उनके सदस्यों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं, इसलिए अवमानना कार्रवाई की याचिका दायर की गई है। पीठ के यह पूछने पर कि क्या याचिका दायर की गई है, दवे ने कहा कि यह दायर किए जाने की प्रक्रिया में है और एक बार सूची में दर्ज हो जाए, वह इसे अदालत को प्रदान करेंगे।

इसने कहा कि ठीक है, हम मंगलवार को इसपर सुनवाई करेंगे। एक बार याचिका सूची में दर्ज हो जाए, आप इसके ब्योरे कोर्ट मास्टर को दे दें। शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर को त्रिपुरा सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए टीएमसी सहित किसा भी राजनीतिक दल को कानून के अनुसार चुनावी अधिकारों का इस्तेमाल करने और शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित रूप से प्रचार करने से नहीं रोका जाएगा।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को नगर निगम चुनावों में राजनीतिक भागीदारी के निर्बाध अधिकार के लिए कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उचित व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था। इसने टीएमसी और उसकी राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों के खिलाफ व्यापक स्तर पर हिंसा का आरोप लगाते हुए सुरक्षा का अनुरोध किया गया था।

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