दूसरी खुराक में सुस्ती

दूसरी खुराक में सुस्ती

देश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए 100 करोड़ खुराक लगाने का उल्लेखनीय काम हुआ है। परंतु अब अगली 100 करोड़ खुराक लगाने का रास्ता सीधा नजर नहीं आ रहा है। लोग अब भी टीकाकरण को लेकर सुस्त रवैया अपनाते नजर आ रहे हैं। जबकि तीसरी लहर की आशंका के बीच पहली खुराक ले …

देश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए 100 करोड़ खुराक लगाने का उल्लेखनीय काम हुआ है। परंतु अब अगली 100 करोड़ खुराक लगाने का रास्ता सीधा नजर नहीं आ रहा है। लोग अब भी टीकाकरण को लेकर सुस्त रवैया अपनाते नजर आ रहे हैं। जबकि तीसरी लहर की आशंका के बीच पहली खुराक ले चुके लोगों को दूसरी खुराक लगाना बेहद जरूरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि सौ करोड़ खुराक दिए जाने के बाद, हम दूसरी खुराक देने के लिए मिशन मोड में काम करेंगे ताकि लोग कोविड-19 से सुरक्षित रहें।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि पहली खुराक लगवा चुके लोगों को दूसरी खुराक लगवाने के लिए तैयार करना अगली बड़ी चुनौती होगी। अनुमानों के आधार पर पहली खुराक ले चुके करीब नौ करोड़ लोगों को अभी दूसरी खुराक लगाना बाकी है। एक सर्वे के अनुसार महानगरों और बड़े शहरों में पहली खुराक लेने में लोगों में दिलचस्पी मई में दर्ज 78 प्रतिशत से कम होकर सितंबर में 28 प्रतिशत रह गई। यानि लोग दूसरी खुराक को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक में देरी पर केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे कोविन डेटाबेस का उपयोग करके उन लोगों की पहचान करें, जिन्हें अभी वैक्सीन की दूसरी खुराक देना है।

आखिर दूसरी खुराक लगाने की राह इतनी कठिन क्यों है? समझा जा रहा है कि दूसरी लहर के काबू में आने के बाद लोगों का मानना है कि कोविड महामारी से बचाव के लिए एक खुराक ही पर्याप्त है। भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक दिलीप मावलंकर स्वीकार करते हैं कि सरकार टीकाकरण अनिवार्य नहीं कर सकती। अगर ऐसा करती है तो विरोध के स्वर भी उठेंगे। हमारे पास उन क्षेत्रों के आंकड़े उपलब्ध हैं जहां लोग विभिन्न कारणों से टीका नहीं लेना चाहते हैं। हमें उन्हें तैयार करने के लिए टीके के लाभ के बारे में बताना होगा और जागरूकता फैलानी होगी।

विरोधी दल देश में टीकों की कमी की बात कहते हैं। जबकि सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने पिछले सप्ताह कहा था कि देश में इस समय टीके की जितनी खपत हो रही है, उसके मुकाबले देश की टीका बनाने वाली कंपनियां कहीं अधिक टीके का उत्पादन कर रही हैं। कोरोना से लड़ाई जीतने के लिए सरकार को अब आगे लोगों को दूसरी खुराक लगवाने के लिए प्रेरित करने हेतु बड़े पैमाने पर प्रयास करने होंगे।

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