शहादत हुई, लेकिन साकार नहीं हुए शहीदों के सपने

शहादत हुई, लेकिन साकार नहीं हुए शहीदों के सपने

अल्मोड़ा, अमृत विचार। राज्य आंदोलन के दौरान दो सितंबर 1994 को मसूरी में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों की बरसी पर नगर के अनेक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड को शहीदों के सपनों का प्रदेश बनाया जा सके, इसके लिए हम सभी को गंभीरता …

अल्मोड़ा, अमृत विचार। राज्य आंदोलन के दौरान दो सितंबर 1994 को मसूरी में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों की बरसी पर नगर के अनेक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड को शहीदों के सपनों का प्रदेश बनाया जा सके, इसके लिए हम सभी को गंभीरता से प्रयास करने होंगे।

गुरुवार को मसूरी कांड के शहीदों की याद में यूकेडी कार्यालय में श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज ही दिन 1994 में राज्य की मांग को लेकर मसूरी के झूला चौक और आसपास के इलाकों में एकत्र आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चला दी थीं। जिसमें एक पुलिस अधिकारी समेत 6 राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। इस लड़ाई में जिन लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई, राज्य उनके प्रति कृतज्ञ है और उत्तराखंड को उनके सपनों का राज्य बनाने की जिम्मेदारी अब प्रत्येक नागरिक की है।

उत्तराखंड लोक वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने भी मसूरी के शहीद राज्य आंदोलनकारियों को याद कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी और कहा कि उत्तराखंड राज्य शहीदों के बलिदान को कभी भुला नहीं पाएगा। उलोवा कार्यकर्ताओं ने कहा कि राजनीतिक दलों को भी शहीदों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कार्य करना चाहिए और राज्य को उनके सपनों के अनुरूप बनाने का प्रयास करना चाहिए।

उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने भी मसूरी के शहीदों को श्रद्धाजंलि दी और उनके बलिदान को अतुलनीय बताया। कार्यक्रम में रेवती बिष्ट, दयाकृष्ण कांडपाल, जगत रौतेला, पूरन तिवारी, जंग बहादुर थापा, कुणाल तिवारी, अजय मित्र, हरीश मेहता, शिवराज बनौला, ब्रहमानंद डालाकोटी, गिरीश साह, दिनेश जोशी, भानु जोशी, ललित बजेली, दीवान सिंह आदि थे।

ताजा समाचार