आईपीएल ट्रॉफी जीत के बाद हार्दिक पांड्या ने कहा- ‘विश्व कप जीतना मेरा लक्ष्य, चाहे कुछ भी हो जाए’

आईपीएल ट्रॉफी जीत के बाद हार्दिक पांड्या ने कहा- ‘विश्व कप जीतना मेरा लक्ष्य, चाहे कुछ भी हो जाए’

अहमदाबाद। पांच आईपीएल फाइनल और पांच खिताब। कप्तान के रूप में अपने गृह राज्य गुजरात के लिए पहला आईपीएल और फाइनल में जीत के साथ ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ वाला प्रदर्शन। हार्दिक पांड्या की ख़िताब जीतने की भूख अभी कम नहीं हुई है और वह भारत के लिए विश्व कप जीतना चाहते हैं। वहीं फाइनल …

अहमदाबाद। पांच आईपीएल फाइनल और पांच खिताब। कप्तान के रूप में अपने गृह राज्य गुजरात के लिए पहला आईपीएल और फाइनल में जीत के साथ ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ वाला प्रदर्शन। हार्दिक पांड्या की ख़िताब जीतने की भूख अभी कम नहीं हुई है और वह भारत के लिए विश्व कप जीतना चाहते हैं।

वहीं फाइनल मैच खत्म होने के चंद पलों बाद ही हार्दिक पांड्या आईपीएल की ट्रॉफी को यूं प्यार से सहेजते नजर आये मानों कोई पिता अपने बच्चे से लाड़ कर रहा हो। आखिर उनकी कड़ी मेहनत का ही फल था कि गुजरात टाइटंस अपने पहले ही सत्र में इस लोक लुभावनी लीग की विजेता बनी। हार्दिक को उनकी पत्नी नताशा ने गले लगाया मानों विश्वास दिला रही हो कि बुरे दौर में उनके पीछे खड़ा रहने वाला परिवार अच्छे दिनों में भी उसी तरह उनके साथ है।

अपने हरफनमौला प्रदर्शन से फाइनल में टीम को जीत दिलाने वाले हार्दिक ने कहा ,‘‘ मैं प्यार पर ही जीता हूं जो मुझे अपने परिवार से भरपूर मिलता है ।’’ चमकीले जैकेट और कान में हीरे के टॉप्स पहनने वाले हार्दिक शुरूआती दिनों में ग्लैमर में डूबे युवा की तरह नजर आते थे लेकिन एक लापरवाह युवा से जिम्मेदार कप्तान बनने तक का उनका सफर उनके जीवट की कहानी कहता है। पत्नी नताशा, बेटा अगस्त्य, भाई कृणाल और वैभव , भाभी पंखुड़ी उनकी ढाल की तरह रहे हैं।

हार्दिक ने कहा ,‘‘ नताशा काफी भावुक है और मुझे अच्छा करते देख बहुत खुश हो जाती है। उसने मेरे कैरियर में काफी उतार चढाव देखें हैं और उसे पता है कि मैने कितनी मेहनत की है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मेरा परिवार मेरी ताकत रहा है। मेरा भाई कृणाल, भाभी पंखुड़ी, दूसरा भाई वैभव। इन सभी नहीं कठिन दौर में भी मुझे मानसिक सकून दिया। मैंने फोन किया तो भाई और भाभी दोनों रो पड़े। ये खुशी के आंसू थे। मुझे पता है कि जब तक ऐसे लोग मेरे पीछे हैं, मैं अच्छा खेल सकता हूं।’’

महेंद्र सिंह धोनी की तरह शांतचित्त होकर कप्तानी करने वाले हार्दिक को जब गुजरात का कप्तान बनाया गया तो क्रिकेट पंडितों ने टीम को मैदान पर उतरने से पहले ही दौड़ से बाहर मान लिया था। लेकिन हार्दिक ने हार नहीं मानी थी और मोर्चे से अगुवाई करते हुए 487 रन बनाने के साथ आठ विकेट भी लिये।

उन्होंने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा ,‘‘ मैने हमेशा जिम्मेदारी का मजा लिया है। मैं मोर्चे से अगुवाई करना पसंद करता हूं ताकि मिसाल दे सकूं ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ अगर मैं टीम से कुछ अपेक्षा करता हूं तो मुझे सबसे पहले उसके अनुरूप खेलना होगा ताकि दूसरों के लिये मिसाल बन सकूं ।’’ अपने छह बरस के अंतरराष्ट्रीय कैरियर में हार्दिक चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 फाइनल खेल चुके हैं और टी20 विश्व कप 2016 तथा वनडे विश्व कप 2019 सेमीफाइनल में पहुंच चुके हैं। नौ जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ श्रृंखला के लिये वह नीली जर्सी में वापसी करेंगे और उनका लक्ष्य विश्व कप खिताब जीतना है।

अब भारत के लिए विश्व कप जीतना चाहते हैं हार्दिक
हार्दिक ने कहा ,‘‘ भारत के लिये विश्व कप जीतना सपना है। मैं हमेशा से टीम को पहले रखता आया हूं और लक्ष्य टीम को आईसीसी खिताब दिलाना है। ’ ’हार्दिक ने कहा कि “मैं विश्व कप जीतने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा सकता हूं। भारत के लिए खेलना हमेशा से सपने के सच होने के जैसा होता है। मुझे लांग टर्म, शॉर्ट टर्म गोल का नहीं पता लेकिन मैं भारत के लिए निश्चित रूप से विश्व कप जीतना चाहता हूं।”

मैं खुशकिस्मत हूं कि पांच बार आईपीएल खिताब जीता
इससे पहले चार बार मुंबई इंडियंस के साथ आईपीएल खिताब जीत चुके हार्दिक ने गुजरात टाइटंस के साथ मिली कामयाबी को खास बताया। उन्होंने कहा ,‘‘यह खिताब खास है क्योंकि मैंने बतौर कप्तान जीता है। इससे पहले 2015, 2017, 2019 और 2020 में मिले खिताब भी खास थे। मैं खुशकिस्मत हूं कि पांच बार आईपीएल खिताब जीता लेकिन इस बार के खिताब से इतिहास बना है। हमें एक लाख दस हजार लोगों का मैदान पर समर्थन मिला और अपनी कड़ी मेहनत का फल भी ।’

हार्दिक ने की आशीष नेहरा की तारीफ
ख़िताबी जीत के बाद हार्दिक ने टीम के मेंटॉर आशीष नेहरा की भी ख़ूब तारीफ़ की। उन्होंने कहा, “लोग कहते हैं कि टी20 बल्लेबाज़ों का खेल है, लेकिन मैं कहता हूं कि गेंदबाज हमें मैच जिताते हैं। अगर आपके पास बोर्ड पर बड़ा स्कोर नहीं है तो भी आप मैच-जिताऊ गेंदबाज़ों के साथ मैच जीतने की सोच सकते हैं। इसलिए मैं और आशु पा (आशीष नेहरा) इस टीम के बनने की शुरुआत से ही एक मज़बूत और अनुभवी गेंदबाज़ी क्रम चाहते थे।”

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