दिलों
साहित्य 

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले…

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले… फैज़ अहमद फ़ैज़ एक पाकिस्तानी कवि और बुद्धिजीवी थे। उनकी कविता का पाकिस्तान के सांस्कृतिक इतिहास पर काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं में भी लिखा, जो दक्षिण एशिया के अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है। फैज़ अहमद फ़ैज़ की ये कविता सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन …
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उत्तर प्रदेश  बरेली 

बरेली: अपने अंदाज, फिक्र से तीन पीढ़ियों के दिलों में ‘राहत’

बरेली: अपने अंदाज, फिक्र से तीन पीढ़ियों के दिलों में ‘राहत’ बरेली, अमृत विचार। बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं…। मशहूर शायर राहत इंदौरी जब भी अपने किसी शेर को पढ़ते तो महफिल झूठ उठती थी। मंगलवार को जैसे ही उनके इंतकाल (निधन) की खबर आम हुई। सोशल मीडिया पर गम पसर गया। उनके शेर …
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