Urdu-language poet
साहित्य 

दीवाने की जन्नत

दीवाने की जन्नत मेरा ये ख़्वाब कि तुम मेरे क़रीब आई हो अपने साए से झिझकती हुई घबराती हुई अपने एहसास की तहरीक पे शरमाती हुई अपने क़दमों की भी आवाज़ से कतराती हुई अपनी साँसों के महकते हुए अंदाज़ लिए अपनी ख़ामोशी में गहनाए हुए राज़ लिए अपने होंटों पे इक अंजाम का आग़ाज़ लिए दिल की …
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साहित्य 

ख़्वाब नहीं देखा है

ख़्वाब नहीं देखा है मैं ने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है रात खिलने का गुलाबों से महक आने का ओस की बूंदों में सूरज के समा जाने का चाँद सी मिट्टी के ज़र्रों से सदा आने का शहर से दूर किसी गाँव में रह जाने का खेत खलियानों में बाग़ों में कहीं गाने का सुबह घर छोड़ने …
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