बरेली: सांस चलती रही और वो बेसुध होकर बस लड़ता रहा लड़ता रहा…

बरेली, अमृत विचार। सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर लहूलुहान पड़ा एक सैनिक, चारों तरफ से बरसतीं दुश्मनों की गोलियां। 17 गोलियां शरीर में लग चुकी थीं, लेकिन जवान था कि हार मानने को तैयार नहीं था। शरीर साथ नहीं दे रहा था, बार-बार गिरता, फिर उठता फिर गिरता, फिर उठता, एक हाथ ने काम …
बरेली, अमृत विचार। सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर लहूलुहान पड़ा एक सैनिक, चारों तरफ से बरसतीं दुश्मनों की गोलियां। 17 गोलियां शरीर में लग चुकी थीं, लेकिन जवान था कि हार मानने को तैयार नहीं था। शरीर साथ नहीं दे रहा था, बार-बार गिरता, फिर उठता फिर गिरता, फिर उठता, एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया लेकिन दूसरे हाथ से बंदूक चलाता रहा। कई पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया। सांस चलती रही और वो बेसुध होकर बस लड़ता रहा लड़ता रहा……।
भारतीय सेना का एक ऐसा सैनिक जिसने अपने दम पर टाइगर हिल पर कब्जा करने का हौंसला दिखाया। आज कारगिल युद्ध को 22 साल हो गए हैं लेकिन परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह के लिए तो ये जैसे कल की ही बात हो। 4 जुलाई के उस दिन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 10 हजार फीट की ऊंचाई पर चल रहे युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी घातक प्लाटून के साथ रात में कई फीट चढ़ाई की थी।
यहां दुश्मनों से मुठभेड़ के दौरान तीन गोलियां लगीं, उनका एक हाथ भी टूट गया। आंखों के सामने कई साथी भी शहीद हुए। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और एक-एक कर दो बंकर ध्वस्त कर टाइगर हिल वापस हासिल करने में बड़ी भूमिका अदा की। योगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि टाइगर हिल में लहूलुहान होने के बाद उन्हें तीन दिन बाद होश आया तो खुद को श्रीनगर के 92 बेस हेडक्वार्टर में पाया। सबसे पहले मां मिलने आई, लेकिन पूरे शरीर पर पट्टियां होने की वजह से पहचान न सकी। 16 महीने इलाज के बाद जब ठीक हुआ तो फिर से सेना में भर्ती होकर देशसेवा में लग गया।
17 गोलियां लगने के बाद भी पोस्ट बचाना थी प्राथमिकता
उन्होंने बताया कि 19 साल की उम्र में ट्रेनिंग के बाद ही उन्होंने जंग की तैयारी शुरू कर दी। भारतीय सेना की 18 ग्रेनेडियर का हिस्सा बने योगेंद्र को सेना में भर्ती होते ही जंग के मैदान में उतरना पड़ा। घातक प्लाटून का हिस्सा बनते ही उन्हें 1999 में द्रास के टाइगर हिल को फतह करने की जिम्मेदारी मिली। जहां पाकिस्तानी सैनिक पहले से ही घात लगाए बैठे थे।
10 हजार फीट से ज्यादा की चढ़ाई और ऊपर हथियारों के साथ बैठा दुश्मन सबसे बड़ी चुनौती था। लेकिन फिर भी चढ़ाई करने का फैसला लिया। कुल 21 जवानों की टुकड़ी जैसे ही आधे रास्ते तक पहुंची दुश्मन ने ऊपर से हमला बोल दिया। जिसमें कई जवान शहीद हो गए। खड़ी चट्टान के सहारे टाइगर हिल पर पहुंचना बहुत ही मुश्किल था लेकिन फिर भी वही रास्ता लिया गया ताकि दुश्मन को आभास भी न हो कि भारतीय सेना ऐसा साहस कर सकती है। ऊपर पहुंचते ही दुश्मन के पहले बंकर को नष्ट कर डाला लेकिन यहां तक पहुंचने में भी कई सैनिक शहीद हो गए। इस दौरान उनको दुश्मन की 17 गोलियां लगी।
आधुनिकता से बढ़ी भारतीय सेना की क्षमता
भारतीय सेना के आधुनिकरण पर उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में भारतीय सेना बदलाव के दौर से गुज़र रही है। सामरिक नीतियों में रक्षा क्षेत्र का महत्त्व बढ़ता ही जा रहा है। देश की सीमाओं पर संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है और ऐसे में भारतीय सेना का आधुनिकीकरण होने से नए उपकरणों एवं तकनीकों से लैस, पुरानी तकनीकों एवं उपकरणों को नवीनतम और आधुनिक तकनीकों तथा उपकरणों से बदलना होगा। इसके लिये सरकार उपकरणों के स्वदेशीकरण के प्रयास भी कर रही है। कारगिल युद्ध के दौरान आधुनिक हथियार मौजूद नहीं थे, लेकिन भारतीय सेना की बहादुर जवानों ने अपनी जान न्यौछावर कर कारगिल पर विजय दिलाई। उन्होंने बताया कि आधुनिकता के इस दौर में भारतीय सेना की क्षमता को और मजबूत कर दिया है।
भारतीय सेना के सिपाही का हौसला
योगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि भारतीय सेना के एक सिपाही के बराबर हौसला किसी भी देश की सेना के पास नहीं है। बताया कि जंग हथियारों के साथ-साथ आत्मबल से भी जीती जाती है। भारतीय सेना में नौकरी पाना और देश की सेवा करना गर्व की बात है। सेना की ओर से दिए जाने वाले प्रशिक्षण के दौरान एक सिपाही को दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिए तैयार किया जाता है।
युवा बदल सकते हैं देश की तस्वीर
उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि ‘युवा’ शब्द सुनते ही चौड़ा सीना, फौलादी भुजाएं और आत्मविश्वास से लबालब भरा एक ऐसा शख्स सामने आता है, जो कुछ कर गुजरने की इच्छा रखता है। उसमें इतना जोश रहता है कि वह किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिए तैयार रहता है। चाहें वह कुर्बानी ही क्यों न हो। देश की कुल जनंसख्या का 70 प्रतिशत युवा वर्ग है। अगर युवा वर्ग अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करे तो हमारा देश विश्व में सबसे ऊपर खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच और जोश से केवल अपनी ही नहीं बल्कि पूरे देश की तस्वीर बदली जा सकती हैं।