पीलीभीत: ओवरलोड ने बढ़ाई मुसीबत, फॉल्ट से बिजली गुल, उपभोक्ता परेशान

पीलीभीत, अमृत विचार। पावर कारपोरेशन के जर्जर संसाधन लोड बढ़ते ही बिजली संकट का सबब बन रहे हैं। एक बार फिर कई इलाकों में फाल्ट के बाद चार से पांच घंटे की कटौती हो गई। जिसने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया। गर्मी में लोग बिना बिजली पसीना-पसीना नजर आए। इसका सुधार तो करा दिया गया, …
पीलीभीत, अमृत विचार। पावर कारपोरेशन के जर्जर संसाधन लोड बढ़ते ही बिजली संकट का सबब बन रहे हैं। एक बार फिर कई इलाकों में फाल्ट के बाद चार से पांच घंटे की कटौती हो गई। जिसने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया। गर्मी में लोग बिना बिजली पसीना-पसीना नजर आए। इसका सुधार तो करा दिया गया, लेकिन ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की दिक्कत बनी रही। फिलहाल मौजूदा हालात को देखते हुए बिजली की तस्वीर सुधरती नहीं दिख रही है।
शहर की बिजली व्यवस्था का हाल बेहाल है। तीन माह से तो हालात और बिगड़ गए हैं। गुरुवार को दिन भर बिजली की आवाजाही बनी रही। दोपहर बाद सप्लाई में कुछ सुधार महसूस हुआ ही था, लेकिन वह भी ज्यादा देर तक नहीं रहा। रात में जैसे ही उपभोक्ताओं ने सोने की तैयारी की, बिजली की आंखमिचौली शुरू हो गई। खकरा फीडर में फाल्ट हुआ और रात 10 बजे के आसपास बत्ती गुल हो गई। उसके बाद टीम को सुधार के लिए भेज दिया गया।
इसी बीच कांशीराम फीडर में भी खराबी होने से सैकड़ों घरों की सप्लाई ठप पड़ गई। उपभोक्ताओं ने इसकी सूचना पावर कारपोरेशन के अफसर-कर्मचारियों को दी। इस पर टीम को लगाया भी गया, लेकिन सुधार होने में ही घंटों बीत गए। जिससे देर रात तक उपभोक्ताओं को बिना बिजली के परेशान होना पड़ा। इसका सुधार कराने के बाद भी बिजली की आंखमिचौली नहीं रुकी।
आयुर्वेदिक कालेज चौराहा, डालचंद, खकरा समेत आसपास के इलाकों में बिजली आती-जाती रही। अशरफ खां मोहल्ले में हाईवोल्टेज ने लोगों को सोने नहीं दिया। विद्युत उपकरण फुंकने का डर लोगों को सताता रहा। दूसरे दिन शुक्रवार सुबह से ही विभिन्न इलाकों से बत्ती गुल होने की सूचनाएं पहुंचने लगी। एकता नगर, नई बस्ती, अवध नगर कालोनी, निरंजनकुज कालोनी आदि में सुबह से बिजली गुल हो गई।
खकरा पुलिस चौकी के पास लगे ट्रांसफार्मर में तारों से आग की लपटें उठने लगी, जिससे हड़कंप मचा रहा। बिजली सप्लाई भी ठप पड़ गई। इसकी सूचना मिलने पर पहुंची टीम ने सुधार कराया। इसके अलावा लाल रोड, मोहल्ला आसफजान, अशोक कालोनी, डोरीलाल, कबीर खां, भूरे खां आदि में भी सप्लाई लड़खड़ाई रही।
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