लखीमपुर: जांच में मादक पदार्थ की पुष्टि नहीं, सवालों के घेरे में आई नारकोटिक्स टीम, जानें मामला
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: सदर कोतवाली क्षेत्र के महेवागंज स्थित एक निर्माणाधीन अस्पताल से दस करोड़ रुपये का मादक पदार्थ बरामद करने का दावा करने वाली नारकोटिक्स विभाग की टीम की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। वजह यह है कि बरामद मादक पदार्थ मेफेड्रोन नहीं निकला है। लैब की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो गई है कि रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके बाद बैकफुट पर आई नारकोटिक्स टीम अब जेल में बेगुनाही की सजा काट रहे दो दिहाड़ी मजदूरों को रिहा कराने की कवायद शुरू कर रही है।
बता दें कि लखनऊ से आई एंटी नारकोटिक्स विभाग की टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ महेवागंज उल्ल नदी पुल के निकट निर्माणाधीन रॉयल केयर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर 20 जनवरी को छापा मारा था। टीम ने इस दौरान काम कर रहे राजगीर मिस्त्री राकेश विश्वकर्मा निवासी अग्गरखुर्द थाना फूलबेहड़ और केयर टेकर विक्रम सिंह निवासी सुजानपुर थाना धौरहरा के पास से दस करोड़ रुपये की कीमत का मादक पदार्थ बरामद होने का दावा किया था। टीम ने हॉस्पिटल मालिक समेत तीनों आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
वहीं, गिरफ्तार दोनों मजदूरों का एनडीपीएस एक्ट के तहत चालान भेजा गया था, जबकि मौके पर मौजूद अस्पताल स्वामी खालिद को गिरफ्तार करने की बजाय उसे फरार बताया गया था। तब से दोनों आरोपी जिला कारागार में अपनी बेगुनाही की सजा काट रहे थे। टीम ने प्रकरण की जांच बाराबंकी की नारकोटिक्स को सौंपी थी। तीन महीने तक चली जांच-पड़ताल के दौरान जांच अधिकारी निरीक्षक आयनुद्दीन कई बार लखीमपुर आए और विवेचना जारी रखी। इधर दो दिन पहले लैब से आई जांच रिपोर्ट ने सभी को हैरान कर दिया। जांच में बरामद किया गया पदार्थ मेफेड्रोन नहीं पाया गया। रिपोर्ट निगेटिव आई है। अब पुलिस जिला कारागार में निरुद्ध दोनों बेकसूर युवकों को रिहा कराने की कवायद तेज कर रही है।
मजदूरों को आरोपी बनाए जाने पर उठे थे सवाल
शहर के महेवागंज स्थित निर्माणाधीन अस्पताल में करोड़ों की ड्रग्स बरामदी में अस्पताल संचालक की गिरफ्तारी न होने पर नाराज विहिप नेता आचार्य संजय मिश्रा के नेतृत्व में कई हिंदू संगठनों के लोग डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल से मिले थे और ज्ञापन देकर मजदूरों को आरोपी बनाए जाने पर सवाल उठाते हुए अस्पताल संचालक को गिरफ्तार कराने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि महेवागंज में पकड़े गए मादक पदार्थ के मामले में मुख्य सरगना डॉक्टर खालिद को पुलिस ने हिरासत में लेकर छोड़ दिया। डॉ. खालिद के संबंध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक और पुलिस से अच्छी पकड़ होने के कारण वह लंबे समय से मादक पदार्थों व अन्य की तस्करी करता चला आ रहा है।
जेल जाने के बाद दाने-दाने को मोहताज हुआ मजदूरों का परिवार
लखीमपुर खीरी। एएनटीएफ टीम जिन दो मजदूरों को ड्रग्स तस्कर बताकर गिरफ्तार कर रही थी, उनकी माली हालत देखकर पुलिस का यह दावा किसी के भी गले नहीं उतर रहा था। मौके से गिरफ्तार राकेश विश्वकर्मा के परिवार में उसका एक छोटा भाई और बहन हैं, जिनकी परवरिश की जिम्मेदारी राकेश पर ही थी। वह अपने परिवार के साथ झोपड़ी में रहकर गुजर-बसर कर रहा था। दूसरा आरोपी, अस्पताल का केयर टेकर विक्रम सिंह भी मुफलिसी का जीवन जी रहा था।
उसके पिता के पास करीब तीन बीघा जमीन है। उसमें गुजर-बसर न होने के कारण वह करीब आठ सालों से अस्पताल संचालक डॉ. खालिद के निर्माणाधीन अस्पताल में केयर टेकर के रूप में काम कर रहा था। लोगों का कहना है कि पुलिस दोनों को अंतरजनपदीय तस्कर बताते हुए विक्रम के पास से ड्रग्स बरामद होने का दावा कर रही थी, लेकिन पुलिस के इस दावे पर किसी को एतबार नहीं था।
उनका कहना था कि यदि गिरफ्तार दोनों आरोपी ड्रग्स के सप्लायर होते, तो आज वे झोपड़ी में नहीं, पक्के मकान में रह रहे होते। उनके रहन-सहन में बदलाव होता, लेकिन वे जैसे आज से दस साल पहले थे, वैसे ही आज भी हैं। दोनों के जेल जाने के बाद उनका परिवार पाई-पाई को मोहताज हो गया है। उन्हें एक जून की रोटी जुटाने में भी लाले पड़ गए।
मादक पदार्थ की जांच रिपोर्ट लैब से आ गई है। जांच में वह मादक पदार्थ नहीं पाया गया है, रिपोर्ट निगेटिव आई है। जिला जेल में बंद दोनों आरोपियों को रिहा कराने की कार्रवाई की जा रही है- निरीक्षक आयनुद्दीन, विवेचक, नारकोटिक्स विभाग, बाराबंकी।
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