प्रयागराज: विकास दूबे एनकाउंटर मामले में गठित जांच आयोग के अध्यक्ष की प्रस्तावित यात्रा का विरोध

प्रयागराज: विकास दूबे एनकाउंटर मामले में गठित जांच आयोग के अध्यक्ष की प्रस्तावित यात्रा का विरोध

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित एक आपात बैठक में प्रदेश के गैंगस्टर विकास दूबे की एनकाउंटर में हुई हत्या के मामले में जांच के लिए गठित जांच आयोग के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस चौहान की इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रस्तावित यात्रा …

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित एक आपात बैठक में प्रदेश के गैंगस्टर विकास दूबे की एनकाउंटर में हुई हत्या के मामले में जांच के लिए गठित जांच आयोग के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस चौहान की इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रस्तावित यात्रा का विरोध किया है।

गौरतलब है कि शीर्ष कोर्ट ने जुलाई 2020 में गैंगस्टर विकास दूबे की एनकाउंटर में हुई हत्या की जांच के लिए शीर्ष कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग के गठन को मंजूरी दी थी| बाद में शीर्ष कोर्ट में एक याचिका दायर कर विकास दूबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए गठित जांच आयोग को भंग करने की मांग की गई, साथ ही आयोग के सदस्यों के बारे में कथित तथ्यों को छुपाने के आरोप में राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई जारी करने के निर्देश दिए जाने की मांग की गई।

पूर्व न्यायमूर्ति का नाम सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाया था जो प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए थे। एसोसिएशन ने अपने प्रस्ताव में कहा कि उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दूबे के एनकाउंटर की जांच की आड़ में पूर्व जज 11 जनवरी 2021 को उच्च न्यायालय के माननीय जजों की कार्यप्रणाली की पड़ताल करने आ रहे हैं। जब वह शीर्ष कोर्ट के न्यायमूर्ति थे, तब भी उन्हें पता था कि इस प्रकार की असंवैधानिक जांच नहीं की जा सकती है।

प्रस्ताव में आगे कहा गया कि इस प्रकार के किसी भी आयोग द्वारा जजों की जांच करने के लिए हमारे संविधान में कोई प्रावधान नहीं है और पूर्व न्यायमूर्ति का कृत्य, जांच की आड़ में प्रदेश की न्यायपालिका को बदनाम करने का एक कुत्सित प्रयास है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि पूर्व न्यायमूर्ति बीएस चौहान एक वकील (दिवंगत) श्रीकांत अवस्थी की मौत के लिए कथित रूप से जिम्मेदार थे और अनावश्यक एवं महत्वहीन विषय पर अवमानना के आदेश के अंतर्गत पुलिस अभिरक्षा में उन्हीं के निर्देशों पर अधिवक्ता के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था।

अधिवक्ता के मृत्यु से संबंधित साक्ष्य को मिटाने के उद्देश्य से अस्पताल में भर्ती दिखाया गया एवं इस संदर्भ में की गई जांच संदिग्ध है और वह आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। पूर्व न्यायमूर्ति बी एस चौहान का इतिहास हमेशा से अधिवक्ता विरोधी रहा है और अब वर्तमान समय में वह न्यायपालिका विरोधी बन गया है।