मुरादाबाद : एक साल बाद भी पटरी पर नहीं आया सड़क हादसों को ट्रैक करने वाला सिस्टम

मुरादाबाद : एक साल बाद भी पटरी पर नहीं आया सड़क हादसों को ट्रैक करने वाला सिस्टम

सौरभ सिंह, अमृत विचार। सड़क हादसों को ट्रैक करने वाला सिस्टम आईरॉड (इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस) जिले में खुद अभी तक बेपटरी है। एक साल बाद भी इस सिस्टम के तहत ना तो किसी दुर्घटना का डेटाबैंक तैयार हो पाया है और ना ही इस सिस्टम के जरिए किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मदद ही पहुंचाई …

सौरभ सिंह, अमृत विचार। सड़क हादसों को ट्रैक करने वाला सिस्टम आईरॉड (इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस) जिले में खुद अभी तक बेपटरी है। एक साल बाद भी इस सिस्टम के तहत ना तो किसी दुर्घटना का डेटाबैंक तैयार हो पाया है और ना ही इस सिस्टम के जरिए किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मदद ही पहुंचाई जा सकी है। जबकि इस सिस्टम के तहत पुलिस के साथ परिवहन और स्वास्थ्य विभाग को ना केवल गोल्डन टाइम में एक्टिव होना है, बल्कि बिना समय गवांए घायल को उपचार भी देना है।

सड़क हादसों में कमी लाने व हादसों में मौत की संख्या को शून्य करने के उद्देश्य से केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2020 के शुरुआत में इस सिस्टम को लांच किया था। मुरादाबाद में पुलिस अधीक्षक (यातायात) को इस सिस्टम का नोडल अधिकारी बनाया गया था। वहीं एआरटीओ और सीएमओ को सदस्य मनोनित किया गया था। प्रावधान किया गया कि कहीं भी कोई सड़क दुर्घटना होने पर मौके पर पहुंचने वाले पुलिसकर्मी सबसे पहले इस दुर्घटना को आईरॉड ऐप पर रिपोर्ट करेंगे।

इतना करते ही उस जगह की सूचना से लेकर दुर्घटना की तीव्रता, घायल की स्थिति की पूरी जानकारी एक साथ स्वास्थ्य विभाग में सीएमओ और परिवहन विभाग में एआरटीओ को मिल जाएगी। इसके बाद दोनों विभाग घायल के इलाज से लेकर दुर्घटना के कारणों की जांच आदि का काम करेंगे। पुलिस ने इस सिस्टम पर काम तो शुरू कर दिया। प्रत्येक सड़क दुर्घटनाओं की रिपोर्टिंग भी इस सिस्टम से होने लगी, लेकिन अभी भी स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग की ओर से इन सूचनाओं पर काम शुरू नहीं किया गया है।

सिस्टम में ही बंटी है जिम्मेदारी
इस सिस्टम में ही पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग की जिम्मेदारी बंटी है। कहीं भी दुर्घटना होने पर पुलिस मौके पर पहुंच कर घायल को अस्पताल भेजने का तो काम करती ही है। अब पुलिस इस सिस्टम के तहत काम करेगी। इससे घायल की स्थिति के बाद भी ट्रैक किया जा सकेगा। वहीं, जैसे ही पुलिस इस सिस्टम पर घटना स्थल का विवरण डालेगी, अपने आप मोबाइल ऐप वहां का लोकेशन रीड कर लेगा और इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग व परिवहन विभाग को दे देगा। यहां से स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी घायल को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करना, अस्पताल पहुंचने पर घायल को गोल्डन पीरियड में इलाज की व्यवस्था करना होगा।

सर्वाधिक हादसे वाले जिलों में शामिल है मुरादाबाद
प्रदेश के सर्वाधिक हादसों वाले जिलों में अपना जिला ना केवल शामिल है, बल्कि लंबे समय से टॉप टेन में भी बना हुआ है। हालात को देखते हुए मुरादाबाद को भी इस परियोजना के पाइलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा में सुधार करना है। यह परियोजना डेटा विश्लेषक तकनीक के माध्यम से अमल में लाई जाएगी। फिर दुर्घटना डेटा का विश्लेषण करके नीति बनाई जाएगी।

यह होगा फायदा
अधिकारियों के मुताबिक किसी दुर्घटना में घायल को गोल्डन पीरियड में इलाज मिल जाए तो मौत को टाला जा सकता है। बल्कि इस व्यवस्था के तहत मौके पर मौत के मामलों को छोड़ दिया जाए तो बाकी मौत को शून्य भी किया जा सकता है। वहीं परिवहन विभाग अपनी जांच के दौरान लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों पर शिकंजा कस सकता है।

हम सभी दुर्घटनाओं को आईरॉड पर रिपोर्ट कर रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग की ओर से तकनीकी दिक्कतों की वजह से अभी तक समग्र डाटा तैयार नहीं हो सका है। -अशोक कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक (यातायात)

सड़क दुर्घटना में इस साल हुई मौतें
कुल हादसे 524
कुल मौत 292
कुल घायल 401

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